4 अर जद आपणा प कळेस आवै ह जणा बे आपानै हिमत बंधावै ह। जिऊँ आपा बी परमेसर की बि हिमत की बजेऊँ बा मिनखानै जखा कळेस म पड़्या हीं हिमत बंधा सकां।
इ ताँई जंय्यां थे करता आर्या हो बंय्यांई एक दुसरानै हिमत अर सारो द्यो।
इ ताँई थे थारा ढिला हातानै अर कमजोर गोडानै मजबूत करो।
म थानै अनाथ की जंय्यां एकलो कोनी छोडूँ। म थारै कनै पाछो आस्युं।
म थारै ताँई परम-पिताऊँ एक मददगार की माँग करस्युं, जखो सदाई थारै सागै रेह्सी।
मदद करबाळी पबितर आत्मा, जिनै परम-पिता मेरा नामऊँ भेजसी थानै सगळी बाता सीखासी। अर जखी बाता म थारूँ बोल्यो हो बे सगळी थानै याद दिवासी।
इ ताँई थे एक दुसरानै आ बाताऊँ हिमत देता रेह्ओ।
इ बजेऊँ म्हानै हिमत मिली। म्हानै हिमत मिलबा क अलावा तितूस क राजी होबाऊँ ओर बी बेत्ती खुसी होई, क्युं क थारी बजेऊँ बिकी आत्मानै स्यांती मिली।
अर म साकळा म बंदर्यो हूँ। इ बजेऊँई परबु म बिस्वास राखबाळा घणकराक भाईड़ानै घणीसारी हिमत मिली ह, अर बे चोखा समचारनै बेधड़क होर सुणार्या हीं।
मनै थार प पूरो भरोसो ह। मनै थार प बोळो गुमान ह, थारी बजेऊँ म कदैई हिमत कोनी हारूँ, म्हारा दुख मुसीबत म बी म थारी बजेऊँ राजी हूँ।