7 पण खुदनै, नइ खेबा जोगी बा क्हाणी-कथाऊँ परै राख, जामै परमेसर कोनी पण खुदनै परमेसर की भगती म लगायो राख।
अर बा क्हाण्या अर पिड्या प गोर नइ करै जखी राड़ करावै ह, अर परमेसर की बि इंछ्यानै पूरी कोनी करीं, जखी खाली बिस्वासऊँई पूरी हो सकै ह।
मिनखनै परमेसरऊँ दूर लेज्याबाळी दुनियादारी अर बकवास बाताऊँ खुदनै दूर राख।
आ दया सीखावै ह क आपा बि जीवननै जिमै परमेसर कोनी अर दुनियादारी की बुरी इंछ्यानै छोडर इ जुग म खुद क बस म रेह्बाळो, खराईऊँ भर्यो जीवन जीवां जिमै परमेसर ह,
बेतुक की जिरै, बडका की पिड्या की गिणती, राड़-झगड़ाऊँ अर नेम-कायदा क बारां म लड़बाऊँ बचो। क्युं क अ बाता बेतुक अर बेमतबल की ह।
पण रोटी तो स्याणा ताँई होवै, जखा सीखता सीखता भला-बुरा म भेद करबो जाणज्यावीं।
बकवास अर बेतुक की बाताऊँ खुदनै दूर राख क्युं क तू खुद जाणै ह अ बाता राड़-झगड़ा करावै ह।
बे खुदका कानानै सच सुणबाऊँ बंद करलेसी अर बेतुक की क्हाण्या म ध्यान लगा लेसी।
पण तू, जखो परमेसरनै मानबाळो ह, आ सगळी बाताऊँ दूर रेह्जे, पण धारमिक्ता, भगती, बिस्वास, परेम, थ्यावस अर दिनता म बण्यो रेह।
जणाई तो म बी आई कोसिस करूं हूँ की परमेसर अर मिनखा क सामै मेरी अन्तर-आत्मा साप रेह्वै।
ओ तिमूतियूस, जखो तनै सोप्यो गयो ह बिनै समाळर राख। दुनियादारी की बात अर बकवास जिरैऊँ खुदनै परै राख जिनै क्युंक मिनख गळतीऊँ “ज्ञान” बोलै ह।
अर यहूदि मिनखा की मनघड़ी क्हाण्या प अर बा मिनखा का आदेसा प ध्यान मना द्यो जखा सचाईनै कोनी मानै।
जखो बी मिनख मसी ईसु की एकता म धरमी जीवन जिबो चावै ह जणा बिनै जुलम सेह्बो पड़सी।
कोई कोनी नट सकै क, भगती को भेद कंय्यां को म्हान ह, बो जखो मिनख जूण म परगट होयो, पबितर आत्मा जिनै धरमी बतायो, अर ईस्बर नगरी दुत जिनै देख्या, देस-देस म बिको परचार कर्यो गयो, जगत म बिपै बिस्वास कर्यो गयो, अर ईस्बर नगरी म उठा लिओ गयो।
अंय्यां की भाण-बेटी जखी खुदनै परमेसर की भगत मानी हीं बा ताँई ओई चोखो ह क, बे खुदनै भला कामाऊँ सुवांरी।
आ जा'णर क नेम-कायदा धरम्या ताँई कोनी, पण अधरम्या, खयो नइ मानबाळा, परमेसरनै नइ मानबाळा, पापी, असुद, माँ-बाप को बुरो करबाळा, मिनखानै मारबाळा,
काया की कसरतऊँ तो चिनोसोई फाईदो होवै, पण परमेसर की भगती तो सगळी बाता म फाईदो करै ह। क्युं क आज अर आबाळा जीवन का सगळा आसिरबादा की जामनी भगती प टिकरी ह।
ज कोई, बि सई अर आपणा परबु ईसु मसी की ईस्बरीय सीखनै, नइ मानै अर क्युं न्यारोई सीखावीं,
अर बा मिनखा म राड़ होवै ह जाकी मत्ती मारी गई ह, अर जखा सचऊँ दूर होगा हीं, बे सोचीं हीं क, परमेसर की सेवा धन कमाबा को सादन ह।
बे धारमिक्ता को दिखाओ तो करी हीं, पण परमेसर की सक्तिनै कोनी मानी। अंय्यां का मिनखाऊँ खुदनै दूर राख।