एक बिस्वासी मंडळी का रूखाळा परधान म आँगळी टेकबा की झघा नइ हो, बिकै एकई लूगाई हो, खुदनै बस म राखबाळो, थ्यावस राखबाळो अर मरियादा म रेह्बाळो, बो आपकै घर म अणजाण की बी आवभगत करै, बो सीखाबा म निधान हो।
पण आपा जखा दिन का च्यानणा म चालां हां बानै चाए क बे खुदनै बस म राख'र बिस्वास अर प्यार-परेम की झिलम पेरीं अर छुटकारो पाबा की आसनै टोपला की जंय्यां पेरीं।
साचली तो आ ह क आपा सगळा बी बाकी जंय्यांई पेल्या बुरी इंछ्या गेल दिन काटर्या हा जखी काया अर मन की इंछ्या होती बिनैई करर्या हा। अर आ सगळा की जंय्यांई आपा बी परमेसर का परकोपनै भोगबा जोगा हा।