18 अर जंय्यां सास्तर बोलै ह, “ज धरमी मिनखई बडी मुसकीलाऊँ बचसी, जणा पाप्या अर जखा भगतीऊँ न्यारा रेह्वै ह बाको काँई होसी?”
क्युं क जद मिनख हर्या दरख्तनै कोनी बकसै जणा फेर सूका को तो खेबोई के?”
सगळा को न्याय करसी। बो बा सगळा मिनखानै जखा परमेसरनै कोनी मानी बाका बुरा करमा की सजा देसी, जखा बे कर्या हीं। परबु पक्काईऊँ परमेसरनै नइ मानबाळा मिनखानै बाका हरेक बुरा बोल ताँई सजा देसी जखा परबु बेई बे बोल्या ह।”
इ ताँई जखो अंय्यां सोचै क, “म बिस्वास म मजबूत हूँ,” बो ध्यानऊँ रेह्वै क कदै अंय्यां नइ होज्या क बो बिस्वासऊँ गुड़ जावै।
परमेसर की झाळ ईस्बर नगरीऊँ मिनखा का हरेक पाप अर बुराई क खिलाप परगट होवै ह, जखा बुराईऊँ सचनै दबावै ह।
अर चेलानै समजाता अर हिमत बंधाता हा क, “बिस्वास म बण्या रेह्ओ अर परमेसर का राज म बड़बा ताँई आपानै बोळा दुख भोगणा पड़सी।”
पण आज का आसमान अर धरती बिका बचनऊँ इ ताँई बणाएड़ा हीं क, बे बाळ्या ज्यावीं। अर अ जद ताँई अंय्यांई रेह्सी जद ताँई पापी मिनखा को न्याय अर बाको नास नइ होज्यावै।
थे चेता म रह्यो अर जागता रह्यो; क्युं क थारो बेरी सेतान धाड़बाळा सेर की जंय्यां इ खोज म रेह्वै ह क किनै पाड़ खाऊँ।
पण परमेसर आपणाऊँ अंय्यां को परेम कर्यो क जद आपा पापीई हा बि टेम का बो मसीनै आपणै ताँई मरबा भेज्यो।
जदकी बिकी अराम हाळी झघा म जाबा को बादो हाल बी ह, जणा आपानै चेता म रेह्बो चाए क्युं क कदै अंय्यां नइ होवै क थारै मऊँ कोईसो बी बठै जाबाऊँ चूक ज्यावै।
क्युं क जद आपा माड़ी दसा म हा ठिक बि टेमई मसी अधरम्या ताँई मर्यो।
‘पोलुस डरै मना! तेरो रोम का राजा क सामै खड़्यो होबो ते ह। अर परमेसर जत्ता बी तेरै सागै सफर करीं हीं बा सगळानै बी बचासी क्युं क तेरै प बिकी दया ह।’
एक बर चुंगी लेबाळा अर पापी ईसुनै सुणबा ताँई भेळा होया।
जणा पोलुस सुबेदार अर सिपाईड़ाऊँ बोल्यो, “ज अ झाज पऊँ चलेगाक जणा थे बी कोनी बचस्यो।”
आ जा'णर क नेम-कायदा धरम्या ताँई कोनी, पण अधरम्या, खयो नइ मानबाळा, परमेसरनै नइ मानबाळा, पापी, असुद, माँ-बाप को बुरो करबाळा, मिनखानै मारबाळा,
अर थे धरमी मिनखानै जखा थारै खिलाप कोनी होया, बानै दोसी बतार बाकी हत्या कर दिनी।