अर ज अंय्यां होतो जणा मसीनै इ सरस्टि की सरूआतऊँ लेर कई बार पिड़ा भोगणी पड़ती; पण इब बो इ जुग क आखरी म सगळा ताँई एकबरई परगट होगो, जिऊँ बो खुदई बलिदान होर पाप को नास कर दे।
बो कमजोरी म हो जणा बो सुळी प मर्यो, पण बो परमेसर की सक्तिऊँ जिंदो ह। अर म्हें बी बिमै तो कमजोर हां पण परमेसर की सक्ति की बजेऊँ बिकै सागै जीवां हां जिऊँ थानै सुदार सकां।
पीळातुस आ देखर सोच्यो इब क्युंई कोनी हो सकै ज म भीड़ क खिलाप जास्युं तो दंगो हो सकै ह। इ ताँई बो पाणी लेर भीड़ क सामै हात धोर खयो, “इ मिनख की मोत म मेरो कोई लेणदेण कोनी आ थारी करनी ह।”