18 क्युं क थे जाणो हो क, थारो बेकार चाल-चलन जखो थारै बडकाऊँ चालतो आर्यो ह, बिऊँ थारो छुटकारो, सोना-चाँदी जंय्यांकी नास होबाळी चिजाऊँ कोनी होयो।
क्युं क परमेसर थारी किमत चुकार थानै मोल लिआ ह। इ ताँई थे थारी कायाऊँ परमेसर की मेमा कर्या करो।
परबु थारो मोल देर थानै मोल लिआ ह। इ ताँई मिनखा का गुलाम मना बणो।
बो आपणा ताँई खुदकी ज्यान दे दिनी। जिऊँ बो आपानै सगळा पापऊँ बचावै अर आपानै सुद कर खुद ताँई अंय्यां का मिनख बणावै जखा भला काम करबा ताँई उतावळा रेह्वै।
परम-पिता परमेसर की इंछ्यानै पूरी करबा ताँई मसी आपणा पाप ताँई खुदनै मरबा ताँई दे दिओ जिऊँ आपा बुरी दुनियाऊँ छुटाया जावां।
इ ताँई परबु का नामऊँ म थानै चेतार्यो हूँ क इब आगैऊँ परमेसरनै नइ ध्यारबाळा मिनखा की जंय्यां मना जीवो क्युं क बाकी सोच बुरी ह,
परमेसरनै जाणता बुजता बी बे बिको परमेसर की जंय्यां आदरमान कोनी कर्यो अर नइ बिनै धनेवाद दिओ। बाकी सोच बेकार होगी अर बाका बेबुदी मन अँधकारऊँ भरगा।
थे बिस्वास म आबाऊँ पेली परमेसरनै नइ ध्यारबाळा मिनखा की जंय्यां खूब जीवन जीआ हो। थे कुकरमी हा, अर थे थारी बुरी इंछ्या गेल चालता हा। थे दारू म धुत्त, मेफलबाज्या अर उदफेली म लाग्या रेह्ता हा। अठै ताँई क थे सूगली मूरतानै पूजता हा।
ओ इ ताँई होयो जिऊँ थारो बो बिस्वास जखो आग म ताईड़ा नास होबाळा सोनाऊँ बी मेंगो ह। जखो ईसु मसी क परगट होबाळा दिन थारै ताँई बडाई, मेमा अर ईज्जत को कारण होसी।
अर “परमेसर ज्ञान्या का बिचारानै बी जाणै ह क बे ख्याई काम का कोनी।”
बो बकरा अर बाछ्या का लोयऊँ नइ पण खुदका लोयऊँ एकबर मई म्हापबितर झघा क मांयनै गयो। अर जुग-जुग को छुटकारो पक्को कर दिओ।
क्युं क थे आ तो जाणोई हो क मसी मिनखा का पापनै धोबा ताँई आयो , अर आबी जाणो हो क बिकै मांयनै क्युंई पाप कोनी।
कोई चिज क बदला म मिनख खुदका पिराण दे सकै ह के?”