13 इ ताँई थारी बुदीनै काम म ल्यो, खुदनै बस म राखो अर बि दया की आस राखो जखी थानै ईसु मसी क परगट होबा की टेम मिलसी।
थे चेता म रह्यो अर जागता रह्यो; क्युं क थारो बेरी सेतान धाड़बाळा सेर की जंय्यां इ खोज म रेह्वै ह क किनै पाड़ खाऊँ।
“कड़त्यु बांदल्यो अर दिआ जळार राखो,
बा घड़ी सांकड़ैई ह जद सक्यु नास होज्यासी। इ ताँई स्याणा बणो अर खुदनै बस म राखो जिऊँ थानै अरदास करबा म मदद मिलै।
पण मसीनै थारा हिया को मालिक मानो अर ज कोई थारूँ थारी आस क बारां म क्युं बुजै, जणा थे बिनै मान अर कदर क सागै जुबाब देबा ताँई सदाई त्यार रेह्ओ।
बंय्यांई मसी बी बोळा मिनखा का पापनै धोबा ताँई एकर बलिदान होयो; अर मसी बा मिनखा ताँई जखा बिनै उडिकै ह बाका पाप धोबा ताँई नइ पण बाका छुटकारा ताँई दुसरकै परगट होसी।
अर जखो बी मिनख बिमै आस करमाली ह, बो खुदनै बंय्यांई पबितर राखै जंय्यांकी मसी पबितर ह।
अर इब ईस्बर नगरी म जीत को इनाम मनै उडिकर्यो ह, जिनै धरमी न्यायी परबु आखरी दिन मनै देसी। मनै एकलानैई नइ पण बा सगळानै बी जखा परेम क सागै बिकै परगट होबानै उडिकीं हीं।
इ ताँई सचऊँ कड़तु कसर, धरम की झिलम पेर, पगा म मेळमिलाप का चोखा समचार की त्यारी का बूट घालर त्यार होज्याओ,
जणाई थे आपणा परबु ईसु मसी क परगट होबानै उडिकर्या हो अर इ ताँई थानै ख्याई आत्मिक बाता की कमी कोनी।
बि दिन बी अंय्यां होसी जि दिन मिनख को बेटो परगट होसी।
इ ताँई थे हिमत मना हारो क्युं क थानै बिको बडो फळ दिओ ज्यासी।
आपणी आ आस बि निम का भाठा की जंय्यां ह जखी आपणा हियानै थाम्यो राखै जिऊँ आपणो बिस्वास नइ हालै। अर आपणी आस की बजेऊँई आपा अंय्यां का हां मानो आपा परमेसर की बि झघा म बड़गा जिमै खाली म्हायाजकई बड़ सकै ह जखी परदाऊँ ढकेड़ी ही।
पण मसी बेटो होबा क नातै परमेसर का घर को मुखियो ह, अर ज आपा हिमत अर बि आसनै जिपै आपा बिस्वास करां हां थाम्या राखां जणा आपा बिका परिवार हां।
तू स्यांतीऊँ टिक्यो रेह अर दुख भोगबा ताँई त्यार रेह। चोखा समचारनै बोलबा ताँई कड़ी मेनत कर अर तेरी जुबाबदारीनै चोखा ढंगऊँ निभा।
पण इब बिस्वास, आस, अर परेम अ तीन्युई टळै कोनी पण आ सगळा म बडो परेम ह।
जणा क्युंना आपा सूल रेह्वां जंय्यां मिनख दिन का उजाळा म रेह्वै। खा पीर धुत्त रेह्बाळासा नइ, नइ कुकरम अर रांडबाज की जंय्यां, नइ लड़बाळा की जंय्यां अर नइ बळोकड़ा की जंय्यां।
अर थे जखा कळेस भोगो हो थानै बो म्हारै सागै सुक-स्यांती देसी। आ बात बि दिन होसी जद परबु ईसु मसी आपका ईस्बर नगरी दुता क सागै भबकती आग म ईस्बर नगरीऊँ आसी,
पण इकी बजाय बो खेसी, ‘रोटी-टुक बणाले अर जद ताँई म रोटी खाई-पी करूं जणा ताँई तू मेरी सेवा म खड़्यो रेह। इकै पाछै तू बी रोटी खा लिए।’
क्युं क आ सरस्टि बोळी आसऊँ बि टेमनै उडिकरी ह जद परमेसर आपकी ओलादनै परगट करसी।
थे बचाया जार्या हो, इ बात को हेलो परमेसर की खेबाळा बोळी पेल्या पाड़्या हा। अर बे इ बात की खूब जाच पड़ताळ करी क, परमेसर थानै कंय्यां बचासी।
म बिस्वासी भाईड़ा सिवानुसनै बिस्वास जोगो जाणू हूँ, बिकै हात चिठी मंडवार थानै समजायो हूँ, अर आ गुवाई दिनी ह क परमेसर की सची दया आई ह। थे इमई मजबूत रेहज्यो।
अर बानै ओडायो, ‘थे माखाळा अँगूरा का बाग म जार काम प लागज्याओ म थानै बाजीब मजुरी देस्युँ।’