13 अर आपानै पूरो बिस्वास बी ह क बो आपणा म बास करै ह अर आपा बी बिकै सागै चालां हां क्युं क बो आपानै खुदकी पबितर आत्मा दिओ ह।
अर जखोबी मिनख परमेसर का हुकमानै मानै ह, बिकै मांयनै परमेसर को बास रेह्वै ह अर बो मिनख परमेसर म बण्यो रेह्वै ह। अर पबितर आत्मा की बजेऊँई जखी आपानै दि गई, आ जाण ज्यावां हां क आपणै मांयनै परमेसर को बास ह।
आपानै इ दुनिया की आत्मा कोनी मिली पण परमेसर की भेजेड़ी पबितर आत्मा मिली ह, जिऊँ बा बातानै अरामऊँ जाण सकां जखी परमेसर आपानै खुला हियाऊँ दि ह।
अर थे ओ कोनी जणो के थारी काया पबितर आत्मा को मनदर ह आ आत्मा थारै मांयनै रेह्वै ह जिनै परमेसर थानै दिओ ह। थे खुदका कोनी हो, पण परमेसर का हो।
परमेसरनै सचमई जाणबा ताँई एकई गेलो ह क, आपा बिका हुकमानै माना, अर ज आपा अंय्यां करां हां, जणा बिनै सचमई जाण लिआ हां।
पण जखोबी मिनख परमेसर को खयो करै ह, जणा बिकै मांयनै परमेसर को परेम सचमई बास करै ह। क्युं क ओई एक गेलो ह जिऊँ आपा परमेसर म मजबूत बण्या रेह सकां हां।