पण ज मेरा दियड़ा पाणी मऊँ कोई पिसी जणा बो ओज्यु कदैई कोनी तिसायो होसी। बि पाणीऊँ जखो म बानै देस्युँ, बिऊँ बे अजर-अमर जीवन ताँई जीवन देबाळा पाणी को झरनो बणज्यासी।”
पण थे तो अत्तोबी कोनी जाणो क काल थारै जीवन क सागै काँई होसी? काँई ह थारो जीवन? थे तो ओस की जंय्यां हो जखी क्युंक देर रेह्वै ह अर पाछै गायब होज्यावै ह।