4 ज थारै मांय अंय्यां की बाता होवै जणा थानै अंय्यां का मिनखा क कनै नइ जाणो चाए जाको बिस्वासी मंडळीऊँ कोई लेणदेण कोनी।
अर जखा अबिस्वासी हीं बा मिनखा को न्याय म क्युं करूं? बिस्वासी मंडळी का को न्याय थानैई करबो चाए।
अर थे ओ कोनी जाणो के आपा दुता को न्याय करस्यां? जणा इ जीवन की आ छोटी-छोटी बाता को काँई खेबो?
थानै सरम आणी चाए! के साच्याई थारै मालो कोई ज्ञानी मिनख कोनी? जखो थारी तू-तू मे-मे को सुळजेटो कर सकै।