अर जिनै बी परमेसर कानिऊँ आत्मिक बरदान मिलेड़ो ह। बिनै चाए क बो परमेसर का चोखा भंडारी की जंय्यां बि आत्मिक बरदाननै एक दुसरा की सेवा करबा ताँई सूल काम म लेवै।
अर आज म जोक्यु बी हूँ परमेसर की दयाऊँ हूँ, अर बिकी दया मेर ताँई बेकार कोनी गई म दुसरा भेजेड़ा चेलाऊँ बढचढ'र मेनत करी ह। पण आ मेरी काबलीयत कोनी आ तो परमेसर की दया ह।