8 सिचबाळा अर बीज बोबाळा म कोई फरक कोनी। हरेकनै परमेसर बाकी मेनत गेल मजुरी देसी।
क्युं क परमेसर हरेकनै बिका करमा गेल फळ देसी।
इ ताँई थे खुद समळर रेहज्यो जिऊँ थे बिनै जिकै ताँई म्हें बोळी मेनत कर्या हा गुमा नइ द्यो पण पूरो-पूरो इनाम पाओ।
जद मिनख को बेटो ईस्बर नगरी दुता क सागै परम-पिता की मेमा म आसी जणा बो मिनखानै बाका कामा गेल फळ देसी।”
ईसु सगळा मिनखाऊँ बोलै ह, “सुणो, म तावळोई आऊँ हूँ। अर सागै थारा करमा गेल थारै ताँई फळ ल्याऊँ हूँ।
इ ताँई मेरा लाडला बिस्वास्यो, बिस्वास म मजबूत बण्या रेह्ओ अर जमाई संका मना करो। अर परबु का काम म खुदनै लगाया राखो। क्युं क थे जाणो हो क परबु ताँई करेड़ो काम बेकार कोनी जावै।
क्युं क जद बो रूखाळो मसी जखो सकै उपर परधान ह परगट होसी, जणा थानै मेमा को मुकट मिलसी अर इ मुकट की रंगत कदैई कोनी जावै।
परमेसर अन्याय करबाळो कोनी। क्युं क थारा कामानै अर परमेसर का मिनखा की मदद कर जखो परेम थे बिका नामऊँ दिखाया अर दिखार्या हो बिनै परमेसर कदैई कोनी भूलै।
पण हरेक मिनखनै खुदका कामा क बारां मई जाच पड़ताळ करनी चाए। क्युं क अंय्यां करबाऊँ बिनै खुदनै गुमान करबा को मोको मिलसी। पण बिनै दुसराऊँ खुदकी बराबरी नइ करबो चाए।
जिको काम बि आग म टिक्यो रेह्सीक बिनै फळ मिलसी।
परमेसर की सेवा म म्हें साती-संगी हां, अर थे परमेसर का खेत अर बिका भवन हो।
म बिका टाबरानै मार गेरस्युं। जणा सगळी बिस्वासी मंडळ्या आ जाण ज्यासी क म हिया अर बुदीनै जाणबाळो हूँ। अर म हरेकनै बाका करमा गेल बदलो देस्युँ।
जखो बोवै अर सिचै ह बो कोई मायनो कोनी राखै। सऊँ बडो परमेसर ह जखो बिनै बढावै ह।
क्युं क ज मसी जीवन म थानै समाळबाळा दस झार होवै, जणा बी थारो बाप तो एकई ह। क्युं क म मसी को चोखो समचार सुणाबा क जरिए मसी म थारो बाप बणगो।
थे बताओ सेना म अंय्यां को कूण मिनख होवै ह जखो खुदका खरचा प एक सिपाई की जंय्यां काम करै? अर अंय्यां को कूण ह जखो खुदका अँगूरा का बाग म अँगूर की बैल उगार बिका अँगूर कोनी खावै? के अंय्यां को बी कोई मिनख ह जखो रेवड़ की रूखाळी कर बाको दुद कोनी पीतो हो?
क्युं क हरेक मिनखनै खुदको बोज उठाणो चाए।
पेला की जंय्यांई बो बिनै बी बोल्यो, ‘तू पाच नगरा प जमीदार होसी।’