5 जिऊँ थारो बिस्वास मिनखा की समज प नइ होवै पण परमेसर की सक्ति प होवै।
आपणा जंय्यां का माटी का भांढा म आत्मिक जागिर धर राखी ह अर आ अनोरी सक्ति आपणी कोनी ह पण परमेसर की ह।
पण बो मनै बोल्यो, “तेरी कमजोरी म मेरी दया जखी तेर प ह बा तनै बोळी, क्युं क कमजोरी मई मेरी सक्ति बोळी काम करै।” इ ताँई म मेरी कमजोरी म बोळो राजी होर गुमान करस्युं जिऊँ मसी की सक्ति मेर प उतरसी।
अर परमेसर की सक्ति की बजेऊँ म्हें परमेसर का दास हां। हमलो करबा अर बचाव ताँई म्हारी धारमिक्ता म्हारो राछ ह।
क्युं क मसी मनै बतिस्मो देबा ताँई नइ, पण बिना मिनख बुदी की मिलावट क चोखा समचार सुणाबा ताँई भेज्यो ह। जिऊँ मसी को सुळी भोगबो बेकार नइ जावै।
म बीज बोयो, अपुलोस सिंच्यो, अर परमेसर बिनै बोजो बणायो।
बा लूगाया म थुआतिरा नगरीऊँ लुदिआ नाम की एक लूगाई ही जखी मेंगा भाव का गाबा बेच्या करती ही अर बा परमेसर की भगत ही। परबु बिका मन का पाट खोल दिआ अर बा पोलुस की बाता प गोर करी।