जणा बिस्वासी मंडळी बानै थोड़ी घणी दूर छोडर गई अर बे फिनीके अर सामरीया क गेला, गैर-यहूदि कंय्यांसिक मन बदल्यो आ बात बिस्वासी भायानै बताता गया, जिनै सुणर सगळा बोळा राजी होया।
जद म अरतिमास नहिस तुखीकुसनै तेरै कनै भेजूँ। अर बाकै पुगताई तू तावळ कर मेरै कनै निकुपुलिस नगरी म आज्याजे। क्युं क स्याळै-स्याळै म बठैई रेह्बा की मनस्या करी।
ओ बंदरगा स्याळा ताँई चोखो कोनी हो इ ताँई घणकराक ओई बिचार कर्यो क हो सकै तो कंय्यां जंय्यां फिनिक्स पुगर स्याळा-स्याळा बठैई रेह्वां। ओ करेती को अंय्यां को बंदरगा हो जिको मुंडो दिखणाद-पाछुणै अर उतराद-पाछुणै म खुलतो हो।