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प्रकाश 18:15 - देउखरिया थारु

15 यी समानके व्यापारीन जेने उ शहरमे व्यापार करके धनी होगिल रहिँत। ओइने ओकर आफत देख्के ओइने ओकर लग रुइहीँ, और ओकर लग विलाप करहीँ। और ओइन्हे फेन वहे दण्ड मिल्हिन कहिके ओइन्हे डर बतिन। और ओइने दूरे ठरह्याके असिक कहिहीँ,

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दङ्‍गौरा थारू

15 उ सहरम व्‍यापार कैक धनी हुइल् व्‍यापारीहुँक्र वाकरम परिअइना दुःख देख्‍क दूरहेँ ठह्र्‍याक असिक कटी बरा स्‍वरले रुइहीँ ओ शोक करहीँ,

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प्रकाश 18:15
14 Referans Kwoze  

यी यहे कारणसे हुई काकरेकी उ जन्नी मनैया जे बेबिलोन शहर हो। उ सारा मानव जातिनहे अपन जाँर-दारुसे मत्वार करादेहल। जेकर मतलब यी हो कि ओकर व्यवहार गजब खराब बतिस, जोन व्यवहार उ सारा मानव जातिनहे सिखैले बा। काकरेकी ऊ ओइन्हे मूर्तिक पुजा करे सिखैले बा। पृथ्वीक सक्कु रज्वन ओकर खराब काममे शामिल हुइल बताँ। पृथ्वीक व्यापारीन उ जन्नी मनैयक महिँगा-महिँगा चिजके चाहनक कारण धनी बनगिल बताँ।”


जब ओकर मलिक्वन ओइन्के कमाहिक आशा विफल हुइल देख्के पावल और सिलासहे पकरके शहरके चोकमे शासकहुँक्रिहिनके थेन तन्ति लैगिलाँ।


तब् फेनदोस्रे येशू मनैनहे शिक्षा देलाँ, “पवित्र शास्त्रमे असिके लिखल बा, परमेश्वर यरुशलेमके मन्दिरके बारेम कहल्ताँ, ‘मोरिक मन्दिरहे सक्कु जातिनके मनैनके लग प्राथनक घर कहिजाई।’ पर तुहुरे यिहिहे डाँकनके जमा हुइना ठाउँक रुपमे प्रयोग करतो।”


ओइन्के बहुत मेरिक समान रहिन। ओम्ने सोन, चाँदी, रत्न और मोती रहिँत। ओम्ने बरह्या-बरह्या खालके लुग्गा रहिँत। जोन महिँगा डोरा, चहकार लाल और भाँटा रङ्गके लुग्गासे बनागिल रहिँत। ओम्ने सुगन्धित कठ्वक बनल चिज, हाँथीनके दाँतेलेके बनल चिज रहिँत। और दोसुर चिज रहिँत, जेने महिँगा कठ्वा या काँस, लोह या सिङ्गमरमरसे बनल रहिँत।


और दालचिनी, मसाला, सुगन्धित धूप, मूर्र, उज्जर-धूप, दारु, तेल, चिक्तार पिठा, गोहूँ, गैया-भैसीन्याँ, भेँरी, घोरी और रथ आबसे मनै नै किन्थाँ। और जोन मनै समान किन्थाँ और बेँच्थाँ, ओइने आब मनैनहे गुलाम बनाइक लग बेँच्थाँ।


व्यापारीन बेबिलोनहे कहिहीँ, “तोरिक चाहल सारा चिज आब नै हुइँत। तोरिक मन परना उ सक्कु सुगन्धित चिज, और ज्या चिज तैँ अपन शरीरहे सुग्घुर बनाइक लग प्रयोग करिस। उ सक्कु चिज हेरागिल बा। आबसे तैँ ओइन्हे कबु फिर्ता नै भेटैबे।”


तब् ओइने अपन दुःख देखाइक लग अपन कपारीम धुर दरलाँ। और रुइति और विलाप कर्ती असिक कहिके चिल्लैलाँ, “परमेश्वर तुहिन्हे दण्ड दिहीँ, आकुर धेउर दण्ड दिहीँ! उ बरवार शहर, जेकर धेउर सम्पतिक कारण, हरेक जाने जेने पानी जहाजके मालिक रहिँत, ओइने धनी होगिलाँ। उ एकफाले अपन सारा सम्पति गुमादारल।


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