येशूहे पता रहिन कि ओइने का कहतताँ। तबेकमारे ऊ ओइन्हे पुँछ्लाँ, “तुहुरिन्के थेन रोटी नै हो कहिके तुहुरे यकर बारेम काकरे छलफल करतो? का तुहुरे नै जन्थो, और अभिन फेन नै बुझ्लो? का तुहुरिन्के मन विश्वास करनामे अभिन फेन हिचकिचाइता?
पर येशू ओइन्के विचार पता पाके ओइन्हे कलाँ, “यदि कौनो राजके मनै असिन समूहमे बँटजैहीँ, जेने एकदोसर जहनसे झगरा कर्ती रथाँ कलेसे उ राज पक्कै फेन बर्बाद होजाई। और यदि कौनो शहर और परिवार लर्ती रहिहीँ कलेसे ओइने नम्मा समयसम एक्केमे रहे नै सेक्हीँ।
मै ओइन्हे मुवादेहम, जेने ओकर शिक्षक अनुशरण करथाँ। तब सक्कु मण्डलीनके जानलिहीँ कि मै वहे हुइतुँ, जे हरेक मनैनके विचार और उद्देश्यहे जन्थुँ। मै तुहुरिन्मेसे हरेक जहनहे ओइन्के काम कर्लक अनुसार ईनाम देहम।
परमेश्वरके वचन ते काम कर्ती रना और जित्ती बा। यी दुनु ओहोँर धार रहल तरवालसे फेन चोखुर बा। यी भित्तर जाके प्राण और आत्माहे अलग करदेहत, अथवा गाँठीगुँथा और हड्डीहे फेन काट्देहत। परमेश्वरके वचन मनैनके मनके विचार और चाहनाहे फट्कारसे जाँचत।