26 “माननीय हाकिम फेलिक्सहे, क्लौडियस लुसियसके नमस्कार!
26 “माननीय बडाहाकिम फेलिक्स ज्यू, मै क्लौडियस लुसियसक अभिवादन!
और ओइन्के संग ओइने यी चिट्ठी पठैलाँ: “एन्टिओखिया शहर, सिरिया और किलिकिया प्रदेशमे रहुइया गैर-यहूदी विश्वासी भैयनहे, निउतरह्या और मण्डलीक अगुवनके ओहोँरसे नमस्कार!
पर पावल कहल, “आदरणीय हाकिम फेस्तस, मै बौराहा नै हुइतुँ, पर सच्चा और बुद्धिक बात बत्वाइतुँ।
यी बात हर मेरके सक्कु ठाउँमे हम्रे धन्यवादके साथ स्वीकार कर्थी।
माननीय थियोफिलस, मै सुरुएसे साबधानीसे सक्कु चिजके खोजी करल बतुँ, और अप्निक लग एकथो क्रम अनुसारके विवरण लिख्ना महिन्हे मजा लागल।
पर महिन्हे आशा बा, कि मै तुहुरिन्के थेन आऊँ, और एक्के थेन होके बात बत्वाऊँ:
मै याकूब यी चिट्ठीहे लिखतुँ। मै परमेश्वर और प्रभु येशू ख्रीष्टके सेबक हुइतुँ। और इजरायलके बाह्रथो गोत्यारीनहे मोरिक ओहोँरसे नमस्कार, जेने संसारभर छिट्कल बताँ।
और पावलके लग फेन घोरवा तयार करो। और उहिहे सुरक्षितसे हाकिम फेलिक्सके थेन पुगाऊ।”
सेनापति यी मेरके चिट्ठी हाकिमहे लिखल:
कैसरिया शहरमे पुग्के ओइने हाकिमहे चिट्ठी बुझैलाँ, और पावलहे फेन ओकर आघे हाजिर करैलाँ।