25 फिर तुम क्या देखने गये थे? क्या कोई पुरुष जिसने बहुत उत्तम वस्त्र पहने हों? नहीं, वे लोग जो उत्तम वस्त्र पहनते हैं और जो विलास का जीवन जीते हैं, वे तो राज-भवनों में ही पाये जाते हैं।
25 तो तुम फिर क्या देखने गए थे? क्या कोमल वस्त्र पहिने हुए मनुष्य को? देखो, जो भड़कीला वस्त्र पहिनते, और सुख विलास से रहते हैं, वे राजभवनों में रहते हैं।
25 तो फिर तुम क्या देखने गए थे? क्या कोमल वस्त्र पहिने हुए मनुष्य को? देखो, जो भड़कीला वस्त्र पहिनते और सुख विलास से रहते हैं, वे राजभवनों में रहते हैं।
25 फिर तुम क्या देखने निकले थे? क्या कोमल वस्त्र पहने हुए मनुष्य को? देखो, जो भड़कीले वस्त्र पहनते और विलासिता में रहते हैं, वे राजमहलों में रहते हैं।
इस समय मेरी आयु अस्सी वर्ष की है. क्या मुझमें अब यह बोध रह गया है कि सुखद क्या है, और क्या नहीं? क्या आपके सेवक में अब भोजन और पेय से संबंधित स्वाद बोध शेष रह गया है? अथवा क्या में अब भी स्त्री-पुरुष गायक-वृन्द की प्रस्तुति सुनने में समर्थ रह गया हूं? तब क्या लाभ है कि आपका सेवक महाराज मेरे स्वामी पर अतिरिक्त बोझ बनकर रहे?
उनकी मेज़ पर परोसा गया भोजन, उनके कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था, उनके सेवकों द्वारा की गई सेवा, उनके कपड़े, उनके पिलाने वाले और याहवेह के भवन में चढ़ाई गई होमबलियां देख वह हैरान रह गईं.
आदेश दिया कि रानी वश्ती को राजा के सामने उसके राजसी मुकुट के साथ प्रस्तुत किया जाए, शासकों एवं समस्त उपस्थित अतिथियों के सामने उसके सौंदर्य का प्रदर्शन करे, रानी वश्ती अति सुंदर थी.
अपने शासनकाल के तीसरे वर्ष में उसने अपने समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए एक विशिष्ट उत्सव का आयोजन किया. फारस एवं मेदिया के सेनापति, सारे सांसद एवं राज्यपाल इस भोज में उसके साथ शामिल हुए.
तब घटनाक्रम इस प्रकार है: उपवास के तृतीय दिन एस्तेर अपने राजकीय राजसी पोशाक धारण कर राजा के राजमहल के आंगन में राजा के कक्षों के सामने जा खड़ी हुई. राजा इस समय सिंहासन कक्ष में, जो राजमहल के प्रवेश के सम्मुख है, सिंहासन पर बैठा था.
मोरदकय नीले और सफेद राजकीय वस्त्र धारण हुए, एक गोलाकार स्वर्ण मुकुट धारण किए हुए, तथा उत्कृष्ट मलमल का बैंगनी राजसी पोशाक धारण हुए राजा के उपस्थिति से निकलकर बाहर नगर में आ गया. संपूर्ण राजधानी शूशन नगर के लोग उल्लास से भरकर जयघोष कर रहे थे,
योहन का संदेश लानेवालों के विदा होने के बाद प्रभु येशु ने भीड़ से योहन के विषय में कहना प्रारंभ किया, “तुम्हारी आशा बंजर भूमि में क्या देखने की थी? हवा में हिलते हुए सरकंडे को?