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यशायाह 66:1 - सरल हिन्दी बाइबल

1 याहवेह यों कहते हैं: “स्वर्ग मेरा सिंहासन है, तथा पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है. तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे? कहां है वह जगह जहां मैं आराम कर सकूंगा?

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पवित्र बाइबल

1 यहोवा यह कहता है, “आकाश मेरा सिंहासन है। धरती मेरे पाँव की चौकी बनी है। सो क्या तू यह सोचता है कि तू मेरे लिये भवन बना सकता है नहीं, तू नहीं बना सकता। क्या तू मुझको विश्रामस्थल दे सकता है नहीं, तू नहीं दे सकता।

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Hindi Holy Bible

1 यहोवा यों कहता है, आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा?

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 प्रभु यों कहता है : ‘आकाश मेरा सिंहासन है और पृथ्‍वी मेरे चरणों की चौकी है! तब तुम मेरे लिए कैसा घर बनाओगे? वह स्‍थान कहाँ है, जहाँ मैं विश्राम कर सकता हूं?’

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 यहोवा यों कहता है : “आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

1 यहोवा यह कहता है: “आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा? (प्रेरि. 7:48-50, मत्ती 5:34,35)

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यशायाह 66:1
20 क्रॉस रेफरेंस  

“मगर क्या वास्तव में परमेश्वर पृथ्वी पर रहेंगे? स्वर्ग, हां, सबसे ऊंचा स्वर्ग भी आपको समाकर नहीं रख सकता, तो भला मेरे द्वारा बनाए गए भवन में यह कैसे संभव हो सकता है!


राजा दावीद ने इन सबके सामने खड़े होकर उन्हें संबोधित कर कहा: “मेरे भाइयो और मेरी प्रजा, मेरी बातें ध्यान से सुनो; यह मेरी इच्छा थी कि मैं याहवेह की वाचा का संदूक और हमारे परमेश्वर के पैरों की चौकी के लिए एक स्थिर घर को बनाऊं. इसी उद्देश्य से मैंने भवन बनाने की तैयारी कर ली.


“जिस भवन को मैं बनवाने पर हूं वह बहुत ही भव्य होगा, क्योंकि हमारे परमेश्वर सभी देवताओं से महान हैं.


“मगर क्या यह संभव है कि परमेश्वर पृथ्वी पर मनुष्यों के बीच निवास करें? देखिए, आकाश और ऊंचे स्वर्ग तक आपको अपने में समा नहीं सकते; तो फिर यह भवन क्या है, जिसको मैंने बनवाया है?


याहवेह अपने पवित्र मंदिर में हैं; उनका सिंहासन स्वर्ग में बसा है. उनकी दृष्टि सर्वत्र मनुष्यों को देखती है; उनकी सूक्ष्मदृष्टि हर एक को परखती रहती है.


“आओ, हम उनके आवास को चलें; हम उनके चरणों में जाकर आराधना करें.


याहवेह, हमारे परमेश्वर की महिमा को ऊंचा करो, उनके पवित्र पर्वत पर उनकी आराधना करो, क्योंकि पवित्र हैं हमारे याहवेह परमेश्वर.


क्योंकि जो महान, उत्तम और सदा-सर्वदा जीवित रहते हैं— जिनका नाम ही पवित्र है, वे यों कहते हैं: “मैं ऊंचे एवं पवित्र स्थान में निवास करता हूं, और दुःखी तथा नम्र लोगों के साथ भी रहता हूं, ताकि मैं नम्र और दुःखी लोगों के मन को खुशी दूं.


“लबानोन का वैभव तुम्हारा हो जाएगा, सनोवर व देवदार तथा चीड़ वृक्ष, मेरे पवित्र स्थान के सौंदर्य को बढ़ाएंगे; मैं अपने चरणों के स्थान को भी महिमा का रूप दूंगा.


क्या कोई व्यक्ति स्वयं को किसी छिपने के स्थान पर ऐसे छिपा सकता है, कि मैं उसे देख न सकूं?” यह याहवेह का प्रश्न है. “क्या आकाश और पृथ्वी मुझसे पूर्ण नहीं हैं?” यह याहवेह का प्रश्न है.


जहां-जहां सूर्य उदय होता और सूर्य डूबता है, उन सब जगहों में जाति-जाति के लोगों के बीच मेरा नाम महान होगा. हर एक जगह में, मेरे पास धूप एवं शुद्ध भेंटें लायी जाएंगी, क्योंकि जाति-जाति के लोगों में मेरा नाम महान होगा,” सर्वशक्तिमान याहवेह का कहना है.


किंतु मैं तुम्हें बता रहा हूं कि यहां वह है, जो मंदिर से बढ़कर है.


येशु ने उनसे कहा, “तुम यह मंदिर परिसर देख रहे हो? सच तो यह है कि एक दिन इन भवनों का एक भी पत्थर दूसरे पर रखा न दिखेगा—हर एक पत्थर ज़मीन पर बिखरा होगा.”


“वह परमेश्वर जिन्होंने विश्व और उसमें की सब वस्तुओं की सृष्टि की, जो स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी हैं, न तो वह मनुष्य के बनाए मंदिरों में वास करते हैं


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