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भजन संहिता 46:3 - सरल हिन्दी बाइबल

3 हां, तब भी जब समुद्र गरजना करते हुए फेन उठाने लगें और पर्वत इस उत्तेजना के कारण थर्रा जाएं.

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पवित्र बाइबल

3 हम नहीं डरते जब सागर उफनते और काले हो जाते हैं, और धरती और पर्वत काँपने लगते हैं।

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Hindi Holy Bible

3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 चाहे समुद्र-जल गरजे और उफने और पर्वत उसकी उत्तेजना से कांप उठें! सेलाह

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से काँप उठे। (सेला)

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नवीन हिंदी बाइबल

3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और उसके उमड़ने से पर्वत काँप उठें। सेला।

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भजन संहिता 46:3
17 क्रॉस रेफरेंस  

उन्होंने आदेश दिया, “बाहर निकलकर पर्वत पर याहवेह के सामने खड़े हो जाओ, याहवेह वहां से होकर अभी निकल रहे हैं!” तब याहवेह के आगे-आगे प्रचंड आंधी ने पहाड़ को हिला दिया, चट्टानें तड़क गईं, मगर याहवेह की उपस्थिति वायु में न थी. प्रचंड आंधी के बाद एक भूकंप आया, मगर याहवेह की उपस्थिति भूकंप में भी न थी.


तथा मैंने यह आदेश दे दिया ‘तुम यहीं तक आ सकते हो, इसके आगे नहीं तथा यहां आकर तुम्हारी वे सशक्त वाली तरंगें रुक जाएंगी’?


मृत्यु की लहरों में घिर चुका था; मुझ पर विध्वंस की तेज धारा का वार हो रहा था.


“अब येरूशलेम और यहूदिया के लोग, मेरे और मेरे अंगूर की बारी के बीच फैसला करेंगे.


चाहे पहाड़ हट जाएं और पहाड़ियां टल जायें, तो भी मेरा प्रेम कभी भी तुम पर से न हटेगा तथा शांति की मेरी वाचा कभी न टलेगी,” यह करुणामय याहवेह का वचन है.


मैंने पर्वतों की ओर दृष्टि की, और देखा कि वे कांप रहे थे; और पहाड़ियां इधर-उधर सरक रही थी.


क्या तुम्हें मेरा कोई भय नहीं?” यह याहवेह की वाणी है. “क्या मेरी उपस्थिति में तुम्हें थरथराहट नहीं हो जाती? सागर की सीमा-निर्धारण के लिए मैंने बांध का प्रयोग किया है, यह एक सनातन आदेश है, तब वह सीमा तोड़ नहीं सकता. लहरें थपेड़े अवश्य मारती रहती हैं, किंतु वे सीमा पर प्रबल नहीं हो सकती; वे कितनी ही गरजना करे, वे सीमा पार नहीं कर सकती.


उनके पैरों के नीचे पर्वत पिघल जाते हैं और जैसे आग के आगे मोम, और जैसे ढलान से गिरता पानी, वैसे ही घाटियां तड़क कर फट जाती हैं.


उनके सामने पर्वत कांप उठते हैं और पहाड़ियां पिघल जाती हैं. उनकी उपस्थिति में पृथ्वी, सारा संसार और उसमें रहनेवाले कांप उठते हैं.


आंधी उठी, वर्षा हुई, बाढ़ आई और उस भवन पर थपेड़े पड़े, फिर भी वह भवन स्थिर खड़ा रहा क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर थी.


हर एक द्वीप विलीन हो गया और सभी पर्वत लुप्‍त हो गए.


तब स्वर्गदूत ने आगे कहा, “वह जल राशि, जो तुमने देखी, जिस पर वह व्यभिचारिणी बैठी है, प्रजातियां, लोग, राष्ट्र तथा भाषाएं हैं.


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