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भजन संहिता 144:4 - सरल हिन्दी बाइबल

4 मनुष्य श्वास समान है; उसकी आयु विलीन होती छाया-समान है.

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पवित्र बाइबल

4 मनुष्य का जीवन एक फूँक के समान होता है। मनुष्य का जीवन ढलती हुई छाया सा होता है।

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Hindi Holy Bible

4 मनुष्य तो सांस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

4 मानव श्‍वास के सदृश है, उसकी आयु के दिन ढलती छाया के समान हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

4 मनुष्य तो साँस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

4 मनुष्य तो श्‍वास के समान है, उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं।

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भजन संहिता 144:4
16 क्रॉस रेफरेंस  

मेरे दिन अब ढलती छाया-समान हो गए हैं; मैं घास के समान मुरझा रहा हूं.


संध्याकालीन छाया-समान मेरा अस्तित्व समाप्‍ति पर है; मुझे ऐसे झाड़ दिया जाता है मानो मैं अरबेह टिड्डी हूं.


क्योंकि हम तो कल की पीढ़ी हैं और हमें इसका कोई ज्ञान नहीं है, क्योंकि पृथ्वी पर हमारा जीवन छाया-समान होता है.


“बेकार! ही बेकार है!” दार्शनिक कहता है, “सब कुछ बेकार है!”


हम सभी की मृत्यु निश्चित है. हम सभी भूमि पर छलक चुके उस जल के समान हैं, जिसे दोबारा इकट्ठा करना संभव नहीं होता. मगर परमेश्वर जीवन नष्ट नहीं करते. वह ऐसी युक्ति करते हैं कि कोई भी निकाले हुए हमेशा उनकी उपस्थिति से दूर न रहे.


मगर दुष्ट के साथ अच्छा न होगा और न ही वह परछाई के समान अपने सारे जीवन को बड़ा कर सकेगा, क्योंकि उसमें परमेश्वर के लिए श्रद्धा और भय की भावना नहीं है.


मैंने इन सभी कामों को जो इस धरती पर किए जाते हैं, देखा है, और मैंने यही पाया कि यह बेकार और हवा से झगड़ना है.


“बेकार ही बेकार!” दार्शनिक का कहना है. “बेकार ही बेकार! बेकार है सब कुछ.”


मेरे जीवन की क्षणभंगुरता का स्मरण कीजिए, किस व्यर्थता के लिए आपने समस्त मनुष्यों की रचना की!


साधारण पुरुष श्वास मात्र हैं, विशिष्ट पुरुष मात्र भ्रान्ति. इन्हें तुला पर रखकर तौला जाए तो वे नगण्य उतरेंगे; एक श्वास मात्र.


मनुष्यों द्वारा किए गए अपराध के लिए आप उन्हें ताड़ना के साथ दंड देते हैं, आप उनकी अमूल्य संपत्ति ऐसे नष्ट कर देते हैं, मानो उसे कीड़ा खा गया. निश्चयतः मनुष्य मात्र एक श्वास है.


हम तो आपके सामने अपने पुरखों के समान सिर्फ यात्री और परदेशी ही हैं. पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान होते हैं, निराशा से भरे.


तब उन पर जो मिट्टी के घरों में निवास करते, जिनकी नींव ही धूल में रखी हुई है, जिन्हें पतंगे-समान कुचलना कितना अधिक संभव है!


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