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प्रेरितों के काम 7:25 - सरल हिन्दी बाइबल

25 उनका विचार यह था कि उनके इस काम के द्वारा इस्राएली यह समझ जाएंगे कि परमेश्वर स्वयं उन्हीं के द्वारा इस्राएलियों को मुक्त करा रहे हैं किंतु ऐसा हुआ नहीं.

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पवित्र बाइबल

25 उसने सोचा था कि उसके अपने भाई बंधु जान जायेंगे कि उन्हें छुटकारा दिलाने के लिए परमेश्वर उसका उपयोग कर रहा है। किन्तु वे इसे नहीं समझ पाये।

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Hindi Holy Bible

25 उस ने सोचा, कि मेरे भाई समझेंगे कि परमेश्वर मेरे हाथों से उन का उद्धार करेगा, परन्तु उन्होंने न समझा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

25 मूसा का विचार यह था कि मेरे भाई समझ जायेंगे कि परमेश्‍वर मेरे द्वारा उनका उद्धार करेगा; किन्‍तु उन्‍होंने ऐसा नहीं समझा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

25 उसने सोचा कि उसके भाई समझेंगे कि परमेश्‍वर उसके हाथों से उनका उद्धार करेगा, परन्तु उन्होंने न समझा।

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नवीन हिंदी बाइबल

25 उसने सोचा कि अब उसके भाई समझ जाएँगे कि परमेश्‍वर उनका छुटकारा उसके हाथों से करेगा, परंतु उन्होंने न समझा।

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प्रेरितों के काम 7:25
20 क्रॉस रेफरेंस  

इसी उद्देश्य से मैं उनके सामर्थ्य के अनुसार, जो मुझमें प्रबल रूप से कार्य कर रही है, मेहनत करते हुए परिश्रम कर रहा हूं.


परमेश्वर के सहकर्मी होने के कारण हमारी तुमसे विनती है कि तुम उनसे प्राप्‍त हुए अनुग्रह को व्यर्थ न जाने दो,


किंतु आज मैं जो कुछ भी हूं परमेश्वर के अनुग्रह से हूं. मेरे प्रति उनका अनुग्रह व्यर्थ साबित नहीं हुआ. मैं बाकी सभी प्रेरितों की तुलना में अधिक परिश्रम करता गया, फिर भी मैं नहीं, परमेश्वर का अनुग्रह मुझमें कार्य कर रहा था.


मैं मात्र उन विषयों का वर्णन करना चाहूंगा, जो मसीह येशु ने मुझे माध्यम बनाकर मेरे प्रचार के द्वारा पूरे किए, जिसका परिणाम हुआ गैर-यहूदियों की आज्ञाकारिता.


नमस्कार के बाद पौलॉस ने एक-एक करके वह सब बताना शुरू किया, जो परमेश्वर ने उनकी सेवा के माध्यम से अन्यजातियों के बीच किया था.


एक लंबे विचार-विमर्श के बाद पेतरॉस खड़े हुए और उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “प्रियजन, आपको यह मालूम ही है कि कुछ समय पहले परमेश्वर ने यह सही समझा कि गैर-यहूदी मेरे द्वारा ईश्वरीय सुसमाचार सुनें और विश्वास करें.


उनके येरूशलेम पहुंचने पर कलीसिया, प्रेरितों तथा पुरनियों ने उनका स्वागत किया. पौलॉस और बारनबास ने उन्हें उन सभी कामों का विवरण दिया, जो परमेश्वर ने उनके माध्यम से किए थे.


वहां पहुंचकर उन्होंने सारी कलीसिया को इकट्ठा किया और सबके सामने उन सभी कामों का वर्णन किया, जो परमेश्वर द्वारा उनके माध्यम से पूरे किए गए थे और यह भी कि किस प्रकार परमेश्वर ने गैर-यहूदियों के लिए विश्वास का द्वार खोल दिया है.


शिष्यों को कुछ भी समझ में न आया. उनसे इसका अर्थ छिपाकर रखा गया था. इस विषय में प्रभु येशु की कही बातें शिष्यों की समझ से परे थी.


किंतु शिष्य इस बात का मतलब समझ न पाए. इस बात का मतलब उनसे छुपाकर रखा गया था. यही कारण था कि वे इसका मतलब समझ न पाए और उन्हें इसके विषय में प्रभु येशु से पूछने का साहस भी न हुआ.


किंतु यह विषय शिष्यों की समझ से परे रहा तथा वे इसका अर्थ पूछने में डर भी रहे थे.


जब हमारे पूर्वज मिस्र देश में थे, उन्होंने आपके द्वारा किए गए आश्चर्य कार्यों की गहनता को मन में ग्रहण नहीं किया; उनके लिए आपके करुणा-प्रेम में किए गए वे अनेक हितकार्य नगण्य ही रहे, सागर, लाल सागर के तट पर उन्होंने विद्रोह कर दिया.


अराम के राजा की सेना का सेनापति नामान, एक अद्भुत प्रतिभा का व्यक्ति था. वह राजा का प्रियजन और आदर के योग्य व्यक्ति था, क्योंकि उसके द्वारा याहवेह ने अराम को विजय दिलाई थी. वह पराक्रमी, वीर योद्धा था, मगर उसे कुष्ठ रोग था.


दावीद ने अपने प्राणों पर खेलकर उस फिलिस्तीनी का संहार किया है, जिससे याहवेह ने सारा इस्राएल को उल्लेखनीय छुड़ौती प्रदान की है. स्वयं आपने यह देखा और आप इससे खुश भी हुए. तब अकारण दावीद की हत्या कर आप निर्दोष के लहू के अपराधी क्यों होना चाह रहे हैं?”


मगर सारी सेना इनकार कर कहने लगी, “क्या योनातन वास्तव में मृत्यु दंड के योग्य है, जिसके द्वारा आज हमें ऐसी महान विजय प्राप्‍त हुई है? कभी नहीं, कभी नहीं! जीवित याहवेह की शपथ, उसके सिर के एक केश तक की हानि न होगी, क्योंकि जो कुछ उसने आज किया है, वह उसने परमेश्वर की सहायता ही से किया है.” इस प्रकार सेना ने योनातन को निश्चित मृत्यु दंड से बचा लिया.


हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं, तुम परमेश्वर की भूमि हो. तुम परमेश्वर का भवन हो.


इसलिये मोशेह ने उस मिस्री को मार दिया और उसे रेत में छिपा दिया.


वहां उन्होंने एक इस्राएली के साथ अन्याय से भरा व्यवहार होते देख उसकी रक्षा की तथा सताए जानेवाले के बदले में मिस्रवासी की हत्या कर दी.


दूसरे दिन जब उन्होंने आपस में लड़ते हुए दो इस्राएलियों के मध्य यह कहते हुए मेल-मिलाप का प्रयास किया, ‘तुम भाई-भाई हो, क्यों एक दूसरे को आहत करना चाह रहे हो?’


यहूदिया के रहनेवालों ने उससे कहा, “तुम्हें बंदी बनाकर फिलिस्तीनियों को सौंप देने के लिए हम यहां आए हैं.” शिमशोन ने उनसे कहा, “बस, मुझसे शपथ लो, कि तुम मेरी हत्या न करोगे.”


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