16-17 दूसरे पशु ने छोटों-बड़ों, धनियों-निर्धनों, स्वतन्त्रों और दासों-सभी को विवश किया कि वे अपने-अपने दाहिने हाथों या माथों पर उस पशु के नाम या उसके नामों से सम्बन्धित संख्या की छाप लगवायें ताकि उस छाप को धारण किए बिना कोई भी ले बेच न कर सके।
16 वह दूसरा पशु सभी लोगों को-चाहे वे छोटे हों या बड़े, धनी हों या दरिद्र, स्वतन्त्र हों या दास-इसके लिए बाध्य करता है कि वे अपने दाहिने हाथ अथवा अपने माथे पर छाप लगवायें।
तब मैंने सिंहासन देखे. उन पर वे व्यक्ति बैठे थे, जिन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया था. तब मैंने उनकी आत्माओं को देखा, जिनके सिर मसीह येशु से संबंधित उनकी गवाही तथा परमेश्वर के वचन का प्रचार करने के कारण उड़ा दिए गए थे. उन्होंने उस हिंसक पशु या उसकी मूर्ति की पूजा नहीं की थी. जिनके मस्तक तथा हाथ पर उसकी मुहर नहीं लगी थी, वे जीवित हो उठे और उन्होंने हज़ार वर्ष तक मसीह के साथ राज्य किया.
तब उस हिंसक पशु को पकड़ लिया गया. उसके साथ ही उस झूठे भविष्यवक्ता को भी, जो उस पशु के नाम में चमत्कार चिह्न दिखाकर उन्हें छल रहा था, जिन पर उस हिंसक पशु की मुहर छपी थी तथा जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे. इन दोनों को जीवित ही गंधक से धधकती झील में फेंक दिया गया.
ऊंचे शब्द में पुकारते हुए कहा, “न तो पृथ्वी को, न समुद्र को और न ही किसी पेड़ को तब तक नाश करना, जब तक हम हमारे परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें.”
इस कारण तुम्हें भी इस दिन को उतना ही मनाना और याद रखना होगा, और याहवेह के नियम और व्यवस्था को कभी नहीं भूलना. यह हमेशा अपने माथे पर याद कराने वाली बात ठहरे और तुम्हारे हाथ में एक चिन्ह होगा, क्योंकि याहवेह ने अपनी सामर्थ्य के द्वारा तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकाला था.
तब मैंने सभी मरे हुओं—साधारण और विशेष को सिंहासन के सामने उपस्थित देखा. तब पुस्तकें खोली गईं तथा एक अन्य पुस्तक—जीवन-पुस्तक—भी खोली गई. मरे हुओं का न्याय पुस्तकों में लिखे उनके कामों के अनुसार किया गया.
अब तक मुझे परमेश्वर की सहायता प्राप्त होती रही, जिसके परिणामस्वरूप मैं आप और छोटे-बड़े सभी के सामने उसी सच्चाई के पूरा होने की घोषणा कर रहा हूं जिसका वर्णन मोशेह और भविष्यद्वक्ताओं ने किया था
जो प्रमुखों से प्रभावित होकर उनका पक्ष नहीं करता, जो न दीनों को तुच्छ समझ धनाढ्यों को सम्मान देता है, क्योंकि उनमें यह बोध प्रबल रहता है दोनों ही एक परमेश्वर की कृति हैं?
तब मुझे ऐसा अहसास हुआ मानो मैं एक कांच की झील को देख रहा हूं, जिसमें आग मिला दी गई हो. मैंने इस झील के तट पर उन्हें खड़े हुए देखा, जिन्होंने उस हिंसक पशु, उसकी मूर्ति तथा उसके नाम की संख्या पर विजय प्राप्त की थी. इनके हाथों में परमेश्वर द्वारा दी हुई वीणा थी.
राष्ट्र क्रोधित हुए, उन पर आपका क्रोध आ पड़ा. अब समय आ गया है कि मरे हुओं का न्याय किया जाए, आपके दासों—भविष्यद्वक्ताओं, पवित्र लोगों तथा सभी श्रद्धालुओं को, चाहे वे साधारण हों या विशेष, और उनका प्रतिफल दिया जाए, तथा उनका नाश किया जाए जिन्होंने पृथ्वी को गंदा कर रखा है.”