25 दान वंशजों ने उनसे कहा, “सही यह होगा कि आपकी आवाज हमारे बीच सुनी ही न जाए, नहीं तो हमारे क्रोधी स्वभाव के लोग आप पर हमला कर देंगे और आप अपने प्राणों से हाथ धो बैठेंगे, तथा आपके परिवार के लोग भी मारे जाएंगे.”
25 दान के परिवार समूह के लोगों ने उत्तर दिया, “अच्छा होता, तुम हमसे बहस न करते। हममें से कुछ व्यक्ति गर्म स्वभाव के हैं। यदि तुम हम पर चिल्लाओगे तो वे गर्म स्वाभाव वाले लोग तुम पर प्रहार कर सकेत हैं। तुम और तुम्हारा परिवार मार डाला जा सकता है।”
25 दानियों ने उस से कहा, तेरा बोल हम लोगों में सुनाईं न दे, कहीं ऐसा न हो कि क्रोधी जन तुम लोगों पर प्रहार करें? और तू अपना और अपने घर के लोगों के भी प्राण को खो दे।
25 दान कुल के लोगों ने उससे कहा, ‘धीरे बोलो! तुम्हारी आवाज हमारे लोगों को सुनाई न दे। अन्यथा उग्र स्वभाव के पुरुष तुम पर टूट पड़ेंगे, और तुम तथा तुम्हारे परिवार के सदस्य अपने प्राणों से हाथ धो बैठेंगे।’
25 दानियों ने उससे कहा, “तेरा बोल हम लोगों में सुनाई न दे, कहीं ऐसा न हो कि क्रोधी जन तुम लोगों पर प्रहार करें, और तू अपना और अपने घर के लोगों के भी प्राण को खो दे।”
25 दानियों ने उससे कहा, “तेरा बोल हम लोगों में सुनाई न दे, कहीं ऐसा न हो कि क्रोधी जन तुम लोगों पर प्रहार करें और तू अपना और अपने घर के लोगों के भी प्राण को खो दे।”
आगे हुशाई ने कहा, यह तो आपको मालूम ही है, कि आपके पिता और उनके साथी वीर योद्धा है. इस समय उनकी मन स्थिति ठीक वैसी है, जैसे मैदान में नन्हे शावकों के छीन जाने पर गुस्सैल रीछनी की होती है. वे अभी बहुत गुस्से में हैं. इसके अलावा आपके पिता युद्ध कौशल में बहुत निपुण हैं. यह हो ही नहीं सकता कि वह सेना के साथ रात बिताए.
मीकाह ने उत्तर दिया, “आपने मेरे द्वारा बनाए देवता और मेरे पुरोहित को ले लिया है, और आप इन्हें लेकर चले जा रहे हैं, तो मेरे लिए क्या बचा है? फिर आप यह कैसे पूछ सकते हैं, ‘क्या हो गया हैं?’ ”
इस समय दावीद बहुत ही परेशान थे, क्योंकि उनके साथी उनका पत्थराव करने की योजना कर रहे थे. हर एक व्यक्ति का हृदय अपने पुत्र-पुत्रियों के अपहरण के कारण बहुत ही कटु हो चुका था. मगर दावीद ने इस स्थिति में याहवेह अपने परमेश्वर में बल प्राप्त किया.