12 वह उस किसी भी व्यक्ति से सुरक्षित रहेगा जो मृतक व्यक्ति के परिवार का हो और उसे पकड़ना चाहता हो। वह तब तक सुरक्षित रहेगा जब तक न्यायालय में उनके बारे में निर्णय नहीं हो जाता।
12 ये नगर प्रतिशोधी से बचने के लिए तुम्हारे शरण-स्थल होंगे कि जब तक हत्यारा न्याय के लिए इस्राएली मंडली के सम्मुख खड़ा नहीं होता तब तक उसका वध नहीं होगा।
अब सारे परिवार आपकी सेविका के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है. उनकी मांग है, ‘अपना वह पुत्र हमें सौंप दो, जिसने भाई की हत्या की है, कि हम उसके भाई की हत्या के लिए उसकी भी हत्या करे.’ यदि वे ऐसा करेंगे तो उत्तराधिकारी की संभावना ही समाप्त हो जाएगी. इससे तो वे उत्तराधिकारी ही समाप्त कर देंगे. इसमें तो वे मेरे शेष रह गए अंगार का ही शमन कर देंगे और तब पृथ्वी पर मेरे पति का न तो नाम रह जाएगा और न कोई उत्तराधिकारी.”
उस व्यक्ति के लिए, जो पलायन कर इन नगरों में आश्रय लेता है, कि वह जीवित रह सके, विधान यह है: यदि किसी व्यक्ति से अपने साथी की हत्या जानबूझकर नहीं होती, जिसके हृदय में उस साथी के प्रति घृणा नहीं थी.
नहीं तो, हत्या का बदला लेनेवाला क्रोध में उसका पीछा करे और मार्ग लंबा होने के कारण उसे पकड़कर उसकी हत्या ही कर डाले-जबकि वह मृत्यु दंड के योग्य नहीं था, क्योंकि उसके मन में मृतक के प्रति कोई बैर था ही नहीं.
ये सभी नगर उन इस्राएली तथा विदेशी लोगों के लिए हैं, जिनसे अनजाने में किसी की हत्या हो जाती है, वह यहां आ जाए और सुरक्षित रहें ताकि विरोधी उसको मार न सके, जब तक सभा के सामने खूनी को नहीं लाया जाता तब तक वह व्यक्ति शरण शहर में ही रह सकता है!