9 मुझे मिले अनुग्रह को पहचानकर याकोब, कैफ़स तथा योहन ने, जो कलीसिया के स्तंभ के रूप में जाने जाते थे, बारनबास और मेरी ओर सहभागिता का दायां हाथ बढ़ाया कि हम गैर-यहूदियों में और वे ख़तनितों में जाएं.
9 इस प्रकार उन्होंने मुझ पर परमेश्वर के उस अनुग्रह को समझ लिया और कलीसिया के स्तम्भ समझे जाने वाले याकूब, पतरस और यूहन्ना ने बरनाबास और मुझसे साझेदारी के प्रतीक रूप में हाथ मिला लिया। और वे सहमत हो गये कि हम विधर्मियों के बीच उपदेश देते रहें और वे यहूदियों के बीच।
9 और जब उन्होंने उस अनुग्रह को जो मुझे मिला था जान लिया, तो याकूब, और कैफा, और यूहन्ना ने जो कलीसिया के खम्भे समझे जाते थे, मुझ को और बरनबास को दाहिना हाथ देकर संग कर लिया, कि हम अन्यजातियों के पास जाएं, और वे खतना किए हुओं के पास।
9 जो व्यक्ति कलीसिया के स्तम्भ समझे जाते थे-अर्थात् याकूब, कैफा और योहन-उन्होंने कृपा का वह वरदान पहचाना जो मुझे मिला है। उन्होंने मुझे और बरनबास को अपने सहयोगी समझकर हमें सहभागिता का दाहिना हाथ दिया। वे इस बात के लिए सहमत हुए कि हम गैर-यहूदियों के पास जायें और वे यहूदियों के पास।
9 और जब उन्होंने उस अनुग्रह को जो मुझे मिला था जान लिया, तो याकूब, और कैफा, और यूहन्ना ने जो कलीसिया के खम्भे समझे जाते थे, मुझ को और बरनबास को संगति का दाहिना हाथ दिया कि हम अन्यजातियों के पास जाएँ और वे खतना किए हुओं के पास;
9 और मुझे दिए गए अनुग्रह को पहचानकर याकूब और कैफा और यूहन्ना ने, जो कलीसिया के स्तंभ समझे जाते हैं, मुझे और बरनाबास को संगति का दाहिना हाथ दिया कि हम गैरयहूदियों में, और वे ख़तना किए हुए लोगों में कार्य करें।
जब वह वहां से निकले, उसकी भेंट रेखाब के पुत्र योनादाब से हुई, जो उसी से भेंटकरने आ रहा था. नमस्कार के बाद उसने योनादाब से पूछा, “क्या तुम्हारा मन मेरे प्रति वैसा ही सच्चा है, जैसा मेरा तुम्हारे प्रति?” योनादाब ने उत्तर दिया, “हां, है.” तब येहू ने कहा, “अगर यह सत्य है, तो अपना हाथ मुझे दो.” जब उसने येहू की ओर अपना हाथ बढ़ाया तो येहू ने उसे अपने रथ में खींच लिया.
पेतरॉस ने हाथ से शांत रहने का संकेत देते हुए उन्हें बताया कि प्रभु ने किस प्रकार उन्हें कारागार से बाहर निकाला. पेतरॉस ने उनसे कहा कि वे याकोब और अन्य भाई बहिनों को इस विषय में बता दें. तब वह स्वयं दूसरी जगह चले गए.
एक लंबे विचार-विमर्श के बाद पेतरॉस खड़े हुए और उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “प्रियजन, आपको यह मालूम ही है कि कुछ समय पहले परमेश्वर ने यह सही समझा कि गैर-यहूदी मेरे द्वारा ईश्वरीय सुसमाचार सुनें और विश्वास करें.
मुझे दिए गए बड़े अनुग्रह के द्वारा मैं तुममें से हर एक को संबोधित करते हुए कहता हूं कि कोई भी स्वयं को अधिक न समझे, परंतु स्वयं के विषय में तुम्हारा आंकलन परमेश्वर द्वारा दिए गए विश्वास के परिमाण के अनुसार हो.
फिर भी मैंने कुछ विषयों पर तुम्हें साहस करके लिखा है कि तुम्हें इनका दोबारा स्मरण दिला सकूं. यह इसलिये कि मुझे परमेश्वर के द्वारा अनुग्रह प्रदान किया गया
किंतु आज मैं जो कुछ भी हूं परमेश्वर के अनुग्रह से हूं. मेरे प्रति उनका अनुग्रह व्यर्थ साबित नहीं हुआ. मैं बाकी सभी प्रेरितों की तुलना में अधिक परिश्रम करता गया, फिर भी मैं नहीं, परमेश्वर का अनुग्रह मुझमें कार्य कर रहा था.
यह करते हुए मैंने स्वयं को मूर्ख बना लिया है. तुमने ही मुझे इसके लिए मजबूर किया है. होना तो यह था कि तुम मेरी प्रशंसा करते. यद्यपि मैं तुच्छ हूं फिर भी मैं उन बड़े-बड़े प्रेरितों की तुलना में कम नहीं हूं.
मैं एक ईश्वरीय प्रकाशन के उत्तर में वहां गया था और मैंने उनको वही ईश्वरीय सुसमाचार दिया, जिसका प्रचार मैं गैर-यहूदियों के बीच कर रहा हूं किंतु गुप्त रूप से, केवल नामी व्यक्तियों के बीच ही—इस भय से कि कहीं मेरी पिछली दौड़-धूप व्यर्थ न हो जाए.
कि यदि मेरे आने में देरी हो ही जाए तो भी तुम्हें इसका अहसास हो कि परमेश्वर के परिवार में, जो जीवित परमेश्वर की कलीसिया तथा सच्चाई का स्तंभ व नींव है, किस प्रकार का स्वभाव करना चाहिए.
हमारे समाचार का विषय वही है, जिसे हमने देखा और सुना है. यह हम तुम्हें भी सुना रहे हैं कि हमारे साथ तुम्हारी भी संगति हो. वास्तव में हमारी यह संगति पिता और उनके पुत्र मसीह येशु के साथ है.
जो विजयी होगा, उसे मैं अपने परमेश्वर के मंदिर का मीनार बनाऊंगा. वह वहां से कभी बाहर ना जाएगा. मैं उस पर अपने परमेश्वर का नाम, अपने परमेश्वर के नगर, नए येरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्वर की ओर से स्वर्ग से उतरने वाला है तथा अपना नया नाम अंकित करूंगा.