20 क्योंकि पुरोहितों एवं लेवियों ने साथ ही अपने को पवित्र कर लिया था. वे सभी अब संस्कार के अनुसार शुद्ध किए गये थे. तब उन्होंने सभी रहनेवालों के लिए फ़सह मेमना वध किया सहपुरोहितों के लिए तथा स्वयं अपने लिए.
20 याजकों और लेविवंशियों ने अपने को शुद्ध किया। उन सभी ने फसह पर्व मनाने के लिये अपने को स्वच्छ और तैयार किया। लेविवंशियों ने बन्धुवाई से लौट ने वाले सभी यहूदियों के लिये फसह पर्व के मेमने को मारा। उन्होंने यह अपने लिये और अपने याजक बंधुओं के लिये किया।
20 क्योंकि याजकों और लेवियों ने एक मन हो कर, अपने अपने को शुद्ध किया था; इसलिये वे सब के सब शुद्ध थे। और उन्होंने बन्धुआई से आए हुए सब लोगों और अपने भाई याजकों के लिये और अपने अपने लिये फसह के पशु बलि किए।
20 पुरोहितों ने उपपुरोहितों के साथ स्वयं को शुद्ध किया। वे सब के सब शुद्ध थे। अत: उन्होंने अपने लिए, अपने सहयोगी पुरोहितों के लिए तथा निष्कासन से लौटे हुए इस्राएलियों के लिए पास्का-पर्व का मेमना बलि किया।
20 क्योंकि याजकों और लेवियों ने एक मन होकर, अपने अपने को शुद्ध किया था; इसलिये वे सब के सब शुद्ध थे। उन्होंने बँधुआई से आए हुए सब लोगों और अपने भाई याजकों के लिये और अपने अपने लिये फसह के पशु बलि किए।
20 क्योंकि याजकों और लेवियों ने एक मन होकर, अपने-अपने को शुद्ध किया था; इसलिए वे सब के सब शुद्ध थे। उन्होंने बँधुआई से आए हुए सब लोगों और अपने भाई याजकों के लिये और अपने-अपने लिये फसह के पशुबलि किए।
मगर इनके लिए पुरोहितों की संख्या कम साबित हुई फलस्वरूप होमबलि के पहले पशुओं की खाल उतारना संभव न हो सका. इसलिये लेवी आकर इसमें उनकी सहायता तब तक करते रहे, जब तक यह काम खत्म न हो गया और जब तक बाकी पुरोहितों ने अपने आपको शुद्ध न कर लिया. क्योंकि यह देखा गया कि स्वयं को शुद्ध करने के लिए पुरोहितों की तुलना में लेवी अधिक सीधे मन के थे.
उन्होंने फ़सह के लिए ठहराए गए पशुओं का वध करना शुरू किया. पुरोहित उनके द्वारा इकट्ठा हुआ लहू लेकर छिड़काव कर रहे थे और लेवी पशु-शवों की खाल उतार रहे थे.
इसके बाद उन्होंने अपने लिए और पुरोहितों के लिए भी तैयारी की, क्योंकि अहरोन के वंशज पुरोहित रात होने तक होमबलि और चर्बी चढ़ा रहे थे. इसलिये लेवियों को खुद अपने लिए और पुरोहितों के लिए जो अहरोन के वंशज थे, तैयारी करनी पड़ी.
दावीद, आसफ, हेमान और राजा के दर्शी यदूथून द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार, आसफ के वंशज गायक भी अपने-अपने ठहराए गए स्थानों पर खड़े हुए थे. द्वारपालों को द्वार छोड़कर जाना ज़रूरी नहीं था, क्योंकि आवश्यक तैयारी उनके भाई-बन्धु लेवियों ने उनके लिए पहले ही कर ली थी.
इन्हें प्रतिदिन, पहले तो स्वयं के पापों के लिए, इसके बाद लोगों के पापों के लिए बलि भेंट करने की ज़रूरत ही नहीं थी क्योंकि इसकी पूर्ति उन्होंने एक ही बार अपने आपको बलि के रूप में भेंट कर हमेशा के लिए कर दी.