दावीद ने परमेश्वर से विनती की, “क्या जनता की गिनती का आदेश मेरा ही न था? पाप मैंने किया है बड़ा बुरा काम हुआ है मुझसे. इन भेड़ों पर विचार कीजिए. क्या गलत किया है इन्होंने? याहवेह, मेरे परमेश्वर, दया करें-आपका हाथ मुझ पर और मेरे पिता के परिवार पर उठे, मगर आपकी प्रजा पर नहीं कि उन पर महामारी की मार हो.”
अब यह विचार करो कि और कितनी अधिक होगी वह प्रतिक्रिया, जब दुष्ट व्यक्तियों ने एक धर्मी व्यक्ति की हत्या उसके घर में जाकर उसके बिछौने पर की है. क्या सही नहीं कि उसके रक्त का बदला तुम्हीं से लेकर तुम्हें पृथ्वी पर से मिटा दूं!”
तब स्वप्न में ही परमेश्वर ने उससे कहा, “मुझे मालूम है कि तुमने यह काम साफ मन से किया है, इसलिये मैंने तुमको मेरे विरुद्ध में पाप करने से रोक रखा है. इसी कारण से मैंने तुम्हें उसे छूने नहीं दिया है.