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इब्रानियों 7:21 - सरल हिन्दी बाइबल

21 किंतु मसीह की नियुक्ति उनकी शपथ के द्वारा हुई, जिन्होंने उनके विषय में कहा: “प्रभु ने शपथ ली है और वह अपना विचार परिवर्तित नहीं करेंगे: ‘तुम अनंत काल के पुरोहित हो.’ ”

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पवित्र बाइबल

21 किन्तु यीशु तब एक शपथ से याजक बना था, जब परमेश्वर ने उससे कहा था, “प्रभु ने शपथ ली है, और वह अपना मन कभी नहीं बदलेगा: ‘तू एक शाश्वत याजक है।’”

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Hindi Holy Bible

21 (क्योंकि वे तो बिना शपथ याजक ठहराए गए पर यह शपथ के साथ उस की ओर से नियुक्त किया गया जिस ने उसके विषय में कहा, कि प्रभु ने शपथ खाई, और वह उस से फिर ने पछताएगा, कि तू युगानुयुग याजक है)।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

21 क्‍योंकि मसीह की नियुिक्‍त के समय प्रभु परमेश्‍वर ने शपथ खायी थी। जैसा कि धर्मग्रन्‍थ कहता है, “मैंने शपथ ली है और मेरी यह शपथ अपरिवर्तनीय है: तू सदा पुरोहित बना रहेगा।”

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

21 क्योंकि वे तो बिना शपथ याजक ठहराए गए पर यह शपथ के साथ उसकी ओर से नियुक्‍त किया गया जिसने उसके विषय में कहा, “प्रभु ने शपथ खाई, और वह उससे फिर न पछताएगा कि तू युगानुयुग याजक है”।

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नवीन हिंदी बाइबल

21 परंतु वह शपथ के साथ उसके द्वारा नियुक्‍त किया गया जिसने उससे कहा : प्रभु ने शपथ खाई है और वह अपना मन न बदलेगा, “तू सदा के लिए याजक है।”

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इब्रानियों 7:21
10 क्रॉस रेफरेंस  

यह याहवेह की शपथ है, जो अपने वक्तव्य से दूर नहीं होते: “तुम मेलखीज़ेदेक की शृंखला में सनातन पुरोहित हो.”


परमेश्वर मनुष्य तो हैं नहीं, कि झूठी बात करें, न ही वह मानव की संतान हैं, कि उन्हें अपना मन बदलना पड़े. क्या, यह संभव है कि उन्होंने कुछ कहा है? और उन्हें वह पूरा करना असंभव हो गया?


परमेश्वर द्वारा दिया गया वरदान तथा उनका बुलावा अटल हैं.


जैसा उन्होंने दूसरी जगह भी कहा है, “तुम मेलखीज़ेदेक की शृंखला में, एक अनंत काल के पुरोहित हो.”


क्योंकि इस विषय में मसीह येशु से संबंधित यह पुष्टि की गई: “तुम मेलखीज़ेदेक की श्रृंखला में, एक अनंत काल के पुरोहित हो.”


यह सब शपथ लिए बिना नहीं हुआ. वास्तव में पुरोहितों की नियुक्ति बिना किसी शपथ के होती थी


एक पूर्व में पुरोहितों की संख्या ज्यादा होती थी क्योंकि हर एक पुरोहित की मृत्यु के साथ उसकी सेवा समाप्‍त हो जाती थी;


व्यवस्था, महापुरोहितों के रूप में मनुष्यों को चुनता है, जो मानवीय दुर्बलताओं में सीमित होते हैं किंतु शपथ के वचन ने, जो व्यवस्था के बाद प्रभावी हुई, एक पुत्र को चुना, जिन्हें अनंत काल के लिए सिद्ध बना दिया गया.


इस्राएल के परम प्रधान अपनी बातें नहीं बदलते, और न ही वह अपने विचार बदलते हैं, क्योंकि वह मनुष्य नहीं कि अपने विचार बदलते रहें.”


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