जब उत्सवों का समय समाप्त हो जाता था, तब अय्योब अपनी इन संतानों को अपने यहां बुलाकर उन्हें पवित्र किया करते थे. वह बड़े भोर को उठकर उनकी संख्या के अनुरूप होमबलि अर्पित करते थे. उनकी सोच थी, “संभव है मेरे पुत्रों से कोई पाप हुआ हो और उन्होंने अपने हृदय में ही परमेश्वर के प्रति अनिष्ट किया हो और परमेश्वर को छोड़ दिया हो.” अय्योब यह सब नियमपूर्वक किया करते थे.
राजा हिज़किय्याह ने उन्हें कहा: “आप जो लेवी हैं ध्यान से सुनिए! अब अपने आपको शुद्ध करो, याहवेह, अपने पूर्वजों के परमेश्वर के भवन को पवित्र करो और पवित्र स्थान से अशुद्धता को निकाल डालो.
इसके बाद उन्होंने दूसरे महीने के चौदहवें दिन फ़सह के मेमनों का वध किया. पुरोहितों और लेवियों के लिए यह लज्जा का विषय हो गया, तब उन्होंने स्वयं को शुद्ध किया और याहवेह के भवन में वे होमबलि ले आए.
मगर इनके लिए पुरोहितों की संख्या कम साबित हुई फलस्वरूप होमबलि के पहले पशुओं की खाल उतारना संभव न हो सका. इसलिये लेवी आकर इसमें उनकी सहायता तब तक करते रहे, जब तक यह काम खत्म न हो गया और जब तक बाकी पुरोहितों ने अपने आपको शुद्ध न कर लिया. क्योंकि यह देखा गया कि स्वयं को शुद्ध करने के लिए पुरोहितों की तुलना में लेवी अधिक सीधे मन के थे.
इन सभी ने अपने भाइयों को इकट्ठा किया, अपने आपको पवित्र किया और राजा के आदेश पर याहवेह के भवन को शुद्ध करने के उद्देश्य से उसमें प्रवेश किया, कि याहवेह द्वारा निर्धारित विधि से यह काम पूरा किया जाए.
संपूर्ण लेवी गायकों ने अर्थात् आसफ, हेमान, यदूथून और उनके पुत्र और संबंधी महीन मलमल के कपड़े पहने हुए झांझ और तन्तु वाद्यों को लिए हुए वेदी के पूर्व की ओर खड़े हुए थे. उनके साथ एक सौ बीस पुरोहित तुरही फूंक रहे थे.
अब फ़सह के लिए ठहराए गए पशु वध किए जाएं. स्वयं को शुद्ध कीजिए और अपने भाई-बंधुओं को मोशेह द्वारा सौंपे गए याहवेह के आदेश को पूरा करने के लिए तैयार कीजिए.”