18 इस प्रकार उस समय इस्राएल के लोग पराजित और यहूदा के लोग विजयी हुए। यहूदा की सेना विजयी हुई क्योंकि वह अपने पूर्वजों के परमेश्वर, यहोवा पर आश्रित रही।
आसा ने याहवेह, अपने परमेश्वर की दोहाई दी और यह याचना की, “याहवेह, शक्तिशाली और कमजोर के बीच युद्ध की स्थिति में आपके अलावा और कोई भी नहीं है, जो सहायता के लिए उपलब्ध हो. इसलिये याहवेह, हमारे परमेश्वर, हमारी सहायता कीजिए, क्योंकि हमारा भरोसा आप पर है. हम आपकी महिमा के कारण इस विशाल सेना के विरुद्ध खड़े हैं. याहवेह, हमारे परमेश्वर आप हैं. ऐसा कभी न हो कि कोई मनुष्य आप पर प्रबल हो.”
उन्हें उनके विरुद्ध सहायता मिली और हग्रि और उनके साथी इनके अधीन कर दिए गए, क्योंकि युद्ध करते हुए उन्होंने परमेश्वर की दोहाई दी और परमेश्वर ने उनकी विनती सुनकर उनका यह ज़रूरी आग्रह सुन लिया, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर में विश्वास किया था.
तब नबूकदनेज्ज़र ने कहा, “शद्रख, मेशेख और अबेद-नगो के परमेश्वर की महिमा हो, जिन्होंने अपने स्वर्गदूत को भेजकर अपने सेवकों को बचाया! उन्होंने उस पर भरोसा किया और राजा के आज्ञा की परवाह न की और अपना प्राण देने तक तैयार थे, इसके बजाय कि वे अपने परमेश्वर को छोड़कर किसी और देवता की सेवा या आराधना करें.
बड़े तड़के उठकर वे तकोआ के बंजर भूमि को चले गए. वहां पहुंचकर यहोशाफ़ात ने खड़े हो उनसे कहा, यहूदिया और येरूशलेम के वासियों, सुनो! याहवेह, अपने परमेश्वर में विश्वास रखो तो, तुम बने रहोगे. याहवेह के भविष्यवक्ताओं का भरोसा करो तो तुम सफल हो जाओगे.