21 शाऊल ने विचार किया, “मैं यह विवाह कर देता हूं, मीखल ही दावीद के लिए एक फंदा बन जाए, और तब फिलिस्तीनी ही दावीद की हत्या कर दें.” यह दूसरा मौका था, जब शाऊल ने दावीद के सामने दामाद होने का प्रस्ताव रखा था; “अब तुम मेरे दामाद बन सकते हो.”
21 शाऊल ने सोचा, “मैं मीकल का उपयोग दाऊद को फँसाने के लिये करूँगा। मैं मीकल को दाऊद से विवाह करने दूँगा और तब मैं पलिश्तियों को इसे मार डालने दूँगा।” अत: शाऊल ने दाऊद से दूसरी बार कहा, “आज तुम मेरी पुत्री से विवाह कर सकते हो।”
21 शाऊल ने विचार किया, ‘मैं दाऊद के साथ मीकल का विवाह कर दूंगा। परन्तु वह दाऊद के लिए एक फन्दा बन जाएगी और पलिश्ती उस पर प्रहार करने के लिए हाथ उठाएंगे।’ अत: उसने दाऊद से दूसरी बार यह कहा, ‘तुम मेरे दामाद बनोगे।’
एक दिन शाऊल ने दावीद से कहा, “सुनो, मेरी इच्छा है कि मैं अपनी बड़ी बेटी का विवाह तुमसे कर दूं. तुम्हें बस इतना ही करना होगा कि तुम मेरे लिए साहसी योद्धा होकर याहवेह के युद्ध लड़ो.” वास्तव में शाऊल का सोचना यह था, “यह करने पर दावीद की हत्या का दोष मुझ पर नहीं बल्कि वह फिलिस्तीनियों पर आएगा. ज़रूरी ही नहीं है कि मैं उसकी हत्या की कोशिश करूं, फिलिस्तीनी ही यह काम पूरा कर देंगे!”
उनकी जीभ घातक बाण है; जिसका वचन फंसाने ही का होता है. अपने मुख से तो वह अपने पड़ोसी को कल्याण का आश्वासन देता है, किंतु मन ही मन वह उसके लिए घात लगाने की युक्ति करता रहता है.
फ़रोह के मंत्रियों ने फ़रोह से पूछा, “और कब तक यह व्यक्ति हमारे लिए परेशानी का कारण बनेगा? इन्हें जाने दो ताकि वे याहवेह, अपने परमेश्वर की आराधना कर सकें. क्या आपको नहीं मालूम कि मिस्र देश नष्ट हो चुका है?”
मेरे प्राणों के प्यासे लोगों ने मेरे लिए जाल बिछाया है, जिन्हें मेरी दुर्गति की कामना है; मेरे विनाश की योजना बना रहे हैं, वे सारे दिन छल की बुरी युक्ति रचते रहते हैं.
दूसरी ओर शाऊल ने अपने सेवकों को आदेश दे रखा था, “दावीद से अकेले में यह कहना, ‘सुनो, महाराज तुमसे बहुत खुश हैं. इसके अलावा तुम सभी सेवकों के प्रिय हो; राजा के दामाद होने योग्य तो सिर्फ तुम्हीं हो.’ ”