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हाग्गै 2:15 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 “अब सोच–विचार करो कि आज से पहले अर्थात् जब यहोवा के मन्दिर में पत्थर पर पत्थर रखा ही नहीं गया था,

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पवित्र बाइबल

15 “‘किन्तु अब कृपया सोचें, आज के पहले क्या हुआ, इसके पूर्व कि यहोवा, परमेश्वर के मंदिर में एक पत्थर पर दूसरा पत्थर रखा गया था

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Hindi Holy Bible

15 अब सोच-विचार करो कि आज से पहिले अर्थात जब यहोवा के मन्दिर में पत्थर पर पत्थर रखा ही नहीं गया था,

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 अब अपने हृदय में विचार करो, आगे क्‍या होगा? जब प्रभु-मन्‍दिर के निर्माण के समय पत्‍थर की जोड़ाई होने लगी थी, उससे पूर्व तुम्‍हारी स्‍थिति कैसी थी?

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सरल हिन्दी बाइबल

15 “ ‘अब सावधानीपूर्वक आज से इस बात पर ध्यान दो—विचार करो कि पहले चीज़ें कैसी थी, जब याहवेह के मंदिर में एक पत्थर पर दूसरा नहीं रखा गया था.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

15 “अब सोच-विचार करो कि आज से पहले अर्थात् जब यहोवा के मन्दिर में पत्थर पर पत्थर रखा ही नहीं गया था,

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हाग्गै 2:15
14 क्रॉस रेफरेंस  

जब राजमिस्त्रियों ने यहोवा के मन्दिर की नींव डाली तब अपने वस्त्र पहिने हुए, और तुरहियाँ लिये हुए याजक, और झाँझ लिये हुए आसाप के वंश के लेवीय इसलिये नियुक्‍त किए गए कि इस्राएलियों के राजा दाऊद की चलाई हुई रीति के अनुसार यहोवा की स्तुति करें।


तब परमेश्‍वर के भवन का काम, जो यरूशलेम में है, रुक गया; और फारस के राजा दारा के राज्य के दूसरे वर्ष तक रुका रहा।


जो कोई बुद्धिमान हो, वह इन बातों पर ध्यान करेगा; और यहोवा की करुणा के कामों पर ध्यान करेगा।


उनके भोजों में वीणा, सारंगी, डफ, बाँसली और दाखमधु, ये सब पाये जाते हैं; परन्तु वे यहोवा के कार्य की ओर दृष्‍टि नहीं करते, और उसके हाथों के काम को नहीं देखते।


जो बुद्धिमान हो, वही इन बातों को समझेगा; जो प्रवीण हो, वही इन्हें बूझ सकेगा; क्योंकि यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उन में चलते रहेंगे, परन्तु अपराधी उन में ठोकर खाकर गिरेंगे।


इसलिये अब सेनाओं का यहोवा यों कहता है, अपनी अपनी चालचलन पर ध्यान करो।


“सेनाओं का यहोवा तुम से यों कहता है: अपने अपने चालचलन पर सोचो।


उन दिनों में जब कोई अन्न के बीस नपुओं की आशा से जाता, तब दस ही पाता था, और जब कोई दाखरस के कुण्ड के पास इस आशा से जाता कि पचास बर्तन भर निकालें, तब बीस ही निकलते थे।


अब सोच–विचार करो, कि आज से पहले अर्थात् जिस दिन यहोवा के मन्दिर की नींव डाली गई, उस दिन से लेकर नौवें महीने के इसी चौबीसवें दिन तक क्या दशा थी? इसका सोच–विचार करो।


उन दिनों के पहले, न तो मनुष्य की मज़दूरी मिलती थी और न पशु का भाड़ा, वरन् सतानेवालों के कारण न तो आनेवाले को चैन मिलता था और न जानेवाले को; क्योंकि मैं सब मनुष्यों से एक दूसरे पर चढ़ाई कराता था।


परन्तु अब मैं इस प्रजा के बचे हुओं से ऐसा बर्ताव न करूँगा जैसा कि पहले के दिनों में करता था, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।


अत: जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे? क्योंकि उनका अन्त तो मृत्यु है।


यदि हम अपने आप को जाँचते तो दण्ड न पाते।


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