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सभोपदेशक 7:14 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

14 सुख के दिन सुख मान, और दु:ख के दिन सोच; क्योंकि परमेश्‍वर ने दोनों को एक ही संग रखा है, जिससे मनुष्य अपने बाद होनेवाली किसी बात को न समझ सके।

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पवित्र बाइबल

14 जब जीवन उत्तम है तो उसका रस लो किन्तु जब जीवन कठिन है तो याद रखो कि परमेश्वर हमें कठिन समय देता है और अच्छा समय भी देता है और कल क्या होगा यह तो कोई भी नहीं जानता।

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Hindi Holy Bible

14 सुख के दिन सुख मान, और दु:ख के दिन सोच; क्योंकि परमेश्वर ने दोनों को एक ही संग रखा है, जिस से मनुष्य अपने बाद होने वाली किसी बात को न बूझ सके।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

14 सुख के दिनों में आनन्‍द मनाओ, किन्‍तु दु:ख के दिनों में विचार करो, क्‍योंकि परमेश्‍वर ने सुख और दु:ख दोनों को बनाया है, ताकि मनुष्‍य इस बात का भेद न पा सके कि उसकी मृत्‍यु के बाद क्‍या होनेवाला है।

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नवीन हिंदी बाइबल

14 सुख के दिन आनंदित रह, और दुःख के दिन सोच; परमेश्‍वर ने ही इन दोनों को बनाया है जिससे मनुष्य यह नहीं समझ सकता कि उसके बाद क्या होने वाला है।

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सरल हिन्दी बाइबल

14 भरपूरी के दिनों में तो खुश रहो; मगर दुःख के दिनों में विचार करो: दोनों ही परमेश्वर ने बनाए हैं, जिससे मनुष्य को यह मालूम हो कि उसके बाद क्या होगा.

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सभोपदेशक 7:14
35 क्रॉस रेफरेंस  

अत: मैं ने यह देखा कि इससे अधिक कुछ अच्छा नहीं कि मनुष्य अपने कामों में आनन्दित रहे क्योंकि उसका भाग यही है; कौन उसके पीछे होनेवाली बातों को देखने के लिये उसको लौटा लाएगा?


रोने का समय, और हँसने का भी समय; छाती पीटने का समय, और नाचने का भी समय है;


सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्‍वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्तव्य यही है।


“तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्‍वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,


उसने तुझ को नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा ही जानते थे, वही तुझ को खिलाया; इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुँह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है।


हे यहोवा, तेरा हाथ बढ़ा हुआ है, पर वे नहीं देखते। परन्तु वे जानेंगे कि तुझे प्रजा के लिये कैसी जलन है, और लजाएँगे।


यदि तुम में कोई दु:खी है, तो वह प्रार्थना करे। यदि आनन्दित है, तो वह स्तुति के भजन गाए।


इसलिये तुम जाकर इसका अर्थ सीख लो : ‘मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूँ।’ क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ।”


यहोवा इस नगर को पुकार रहा है, और सम्पूर्ण ज्ञान तेरे नाम का भय मानना है : राज–दण्ड की, और जो उसे देनेवाला है उसकी बात सुनो!


जब तक यहोवा अपना काम और अपनी युक्‍तियों को पूरी न कर चुके, तब तक उसका क्रोध शान्त न होगा। अन्त के दिनों में तुम इस बात को भली भाँति समझ सकोगे।


मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिससे मैं तेरी विधियों को सीख सकूँ।


और चेलों के मन को स्थिर करते रहे और यह उपदेश देते थे कि विश्‍वास में बने रहो; और यह कहते थे, “हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।”


उसने मुझे एक नया गीत सिखाया जो हमारे परमेश्‍वर की स्तुति का है। बहुतेरे यह देखकर डरेंगे, और यहोवा पर भरोसा रखेंगे।


इस कारण उस पर उसने अपने क्रोध की आग भड़काई और युद्ध का बल चलाया; और यद्यपि आग उसके चारों ओर लग गई, तौभी वह न समझा; वह जल भी गया, तौभी न चेता।


उपदेशक कहता है, सब व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।


और यदि वे बँधुआई के देश में सोच विचार करें, और फिरकर अपने बन्दी बनानेवालों के देश में तुझ से गिड़गिड़ाकर कहें, ‘हम ने पाप किया है, और कुटिलता और दुष्‍टता की है;’


फिर अपने मन में यह तो विचार कर, कि जैसा कोई अपने बेटे को ताड़ना देता है वैसे ही तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझ को ताड़ना देता है।


और जितने अच्छे पदार्थ तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे और तेरे घराने को दे, उनके कारण तू लेवियों और अपने मध्य में रहनेवाले परदेशियों सहित आनन्द करना।


उसने उससे कहा, “तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्‍वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें?” इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुँह से कोई पाप नहीं किया।


वह नहीं जानता कि क्या होनेवाला है, और कब होगा? यह उसको कौन बता सकता है?


अपने मार्ग पर चला जा, अपनी रोटी आनन्द से खाया कर, और मन में सुख मानकर अपना दाखमधु पिया कर; क्योंकि परमेश्‍वर तेरे कामों से प्रसन्न हो चुका है।


मूर्ख बहुत बातें बढ़ा कर बोलता है, तौभी कोई मनुष्य नहीं जानता कि क्या होगा, और कौन बता सकता है कि उसके बाद क्या होनेवाला है?


हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, और अपनी जवानी के दिनों में मगन रह; अपनी मनमानी कर और अपनी आँखों की दृष्‍टि के अनुसार चल। परन्तु यह जान रख कि इन सब बातों के विषय परमेश्‍वर तेरा न्याय करेगा।


केवल इसके कि उसने जीवन भर बेचैनी से भोजन किया, और बहुत ही दु:खित और रोगी रहा और क्रोध भी करता रहा?


विपत्ति और कल्याण, क्या दोनों परमप्रधान की आज्ञा से नहीं होते।


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