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सभोपदेशक 5:2 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

2 बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली में परमेश्‍वर के सामने निकालना, क्योंकि परमेश्‍वर स्वर्ग में है और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों।

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पवित्र बाइबल

2 परमेश्वर से मनन्त मानते समय सावधान रहो। परमेश्वर से जो कुछ कहो उन बातों के लिये सावधान रहो। भावना के आवेश में, जल्दी में कुछ मत कहो। परमेश्वर स्वर्ग में है और तुम धरती पर हो। इसलिये तुम्हें परमेश्वर से बहुत थोड़ा बोलने की आवश्यकता है। यह कहावत सच्ची है:

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Hindi Holy Bible

2 बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

2 अपने मुंह से कोई बात जल्‍दी मत निकालो, और न उतावली में अपने हृदय की बात परमेश्‍वर के सम्‍मुख प्रकट करो, क्‍योंकि परमेश्‍वर तो स्‍वर्ग में है, और तुम पृथ्‍वी पर। अत: तुम्‍हारे शब्‍द थोड़े ही हों।

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नवीन हिंदी बाइबल

2 बोलने में जल्दबाज़ी न करना, और न परमेश्‍वर के सामने अपने मन से कोई बात उतावली में निकालना, क्योंकि परमेश्‍वर स्वर्ग में है और तू पृथ्वी पर है। अतः तेरे शब्द थोड़े ही हों।

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सरल हिन्दी बाइबल

2 अपनी किसी बात में उतावली न करना, न ही परमेश्वर के सामने किसी बात को रखने में जल्दबाजी करना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तुम पृथ्वी पर हो, इसलिये अपने शब्दों को थोड़ा ही रखना.

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सभोपदेशक 5:2
21 क्रॉस रेफरेंस  

प्रार्थना करते समय अन्यजातियों के समान बक–बक न करो, क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उनकी सुनी जाएगी।


जहाँ बहुत बातें होती हैं, वहाँ अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुँह को बन्द रखता वह बुद्धि से काम करता है।


क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।


“अत: तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो: ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।


क्योंकि स्वप्नों की अधिकता से व्यर्थ बातों की बहुतायत होती है : परन्तु तू परमेश्‍वर का भय मानना।


फिर अब्राहम ने कहा, “हे प्रभु, सुन, मैं तो मिट्टी और राख हूँ; तौभी मैं ने इतनी ढिठाई की कि तुझ से बातें करूँ।


इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं; जो कोई वचन में नहीं चूकता वही तो सिद्ध मनुष्य है और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।


क्योंकि जैसे कार्य की अधिकता के कारण स्वप्न देखा जाता है, वैसे ही बहुत सी बातों का बोलनेवाला मूर्ख ठहरता है।


जो मनुष्य बिना विचारे किसी वस्तु को पवित्र ठहराए, और जो मन्नत मानकर पूछपाछ करने लगे, वह फन्दे में फँसेगा।


तब याक़ूब ने यह मन्नत मानी, “यदि परमेश्‍वर मेरे संग रहकर इस यात्रा में मेरी रक्षा करे, और मुझे खाने के लिये रोटी, और पहिनने के लिये कपड़ा दे,


हमारा परमेश्‍वर तो स्वर्ग में है; उसने जो चाहा वही किया है।


फिर उसने कहा, “हे प्रभु, क्रोध न कर, मैं एक ही बार और कहूँगा : कदाचित् उसमें दस मिलें।” उसने कहा, “तो मैं दस के कारण भी उसका नाश न करूँगा।”


फिर उसने कहा, “हे प्रभु, क्रोध न कर तो मैं कुछ और कहूँ। कदाचित् वहाँ तीस मिलें।” उसने कहा, “यदि मुझे वहाँ तीस भी मिलें, तौभी ऐसा न करूँगा।”


और यिप्‍तह ने यह कहकर यहोवा की मन्नत मानी, “यदि तू नि:सन्देह अम्मोनियों को मेरे हाथ में कर दे,


और उससे शपथ खाई, “मैं अपने आधे राज्य तक जो कुछ तू मुझ से माँगेगी मैं तुझे दूँगा।”


और यह पत्थर, जिसका मैं ने खम्भा खड़ा किया है, परमेश्‍वर का भवन ठहरेगा : और जो कुछ तू मुझे दे उसका दशमांश मैं अवश्य ही तुझे दिया करूँगा।”


अथवा यदि कोई बुरा या भला करने को बिना सोचे समझे शपथ खाए, चाहे किसी प्रकार की बात वह बिना सोचे–विचारे शपथ खाकर कहे, तो ऐसी बात में वह दोषी उस समय ठहरेगा जब उसे मालूम हो जाएगा।


बुद्धिमान के वचनों के कारण अनुग्रह होता है, परन्तु मूर्ख अपने वचनों के द्वारा नष्‍ट होते हैं।


उसकी बात का आरम्भ मूर्खता का, और उनका अन्त दु:खदाई बावलापन होता है।


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