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लूका 6:41 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

41 तू अपने भाई की आँख के तिनके को क्यों देखता है, और अपनी ही आँख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता?

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पवित्र बाइबल

41 “तू अपने भाई की आँख में कोई तिनके को क्यों देखता है और अपनी आँख का लट्ठा भी तुझे नहीं सूझता?

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Hindi Holy Bible

41 तू अपने भाई की आंख के तिनके को क्यों देखता है, और अपनी ही आंख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

41 “जब तुम्‍हें अपनी ही आँख के लट्ठे का पता नहीं, तो तुम अपने भाई की आँख का तिनका क्‍यों देखते हो?

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नवीन हिंदी बाइबल

41 तू क्यों अपने भाई की आँख के तिनके को देखता है, परंतु अपनी आँख के लट्ठे पर ध्यान नहीं देता?

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सरल हिन्दी बाइबल

41 “तुम भला अपने भाई की आंख के कण की ओर उंगली क्यों उठाते हो जबकि तुम स्वयं अपनी आंख में पड़े लट्ठे की ओर ध्यान नहीं देते?

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लूका 6:41
18 क्रॉस रेफरेंस  

और यहोवा उसके सिर वह खून लौटा देगा क्योंकि उसने मेरे पिता दाऊद के बिना जाने अपने से अधिक धर्मी और भले दो पुरुषों पर, अर्थात् इस्राएल के प्रधान सेनापति नेर के पुत्र अब्नेर और यहूदा के प्रधान सेनापति येतेर के पुत्र अमासा पर टूटकर उनको तलवार से मार डाला था।


परन्तु इनमें योआब ने लेवी और बिन्यामीन को न गिना, क्योंकि वह राजा की आज्ञा से घृणा करता था।


वह अपने अधर्म के प्रगट होने और घृणित ठहरने के विषय अपने मन में चिकनी चुपड़ी बातें विचारता है।


मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है?


वह जो सोच विचार कर अपने सब अपराधों से फिरा, इस कारण न मरेगा, जीवित ही रहेगा।


“दोष मत लगाओ कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए।


उनके पास थोड़ी सी छोटी मछलियाँ भी थीं; उसने धन्यवाद करके उन्हें भी लोगों के आगे रखने की आज्ञा दी।


चेला अपने गुरु से बड़ा नहीं, परन्तु जो कोई सिद्ध होगा, वह अपने गुरु के समान होगा।


जब तू अपनी ही आँख का लट्ठा नहीं देखता, तो अपने भाई से कैसे कह सकता है, ‘हे भाई; ठहर जा तेरी आँख से तिनके को निकाल दूँ’? हे कपटी, पहले अपनी आँख से लट्ठा निकाल, तब जो तिनका तेरे भाई की आँख में है, उसे भली भाँति देखकर निकाल सकेगा।


जब वे उससे पूछते ही रहे, तो उसने सीधे होकर उनसे कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।”


अत: हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्यों न हो, तू निरुत्तर है; क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है स्वयं ही वह काम करता है।


इसलिये कि वह अपने आप को देखकर चला जाता और तुरन्त भूल जाता है कि वह कैसा था।


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