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रोमियों 8:7 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

7 क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्‍वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्‍वर की व्यवस्था के अधीन है और न हो सकता है;

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पवित्र बाइबल

7 इस तरह भौतिक मानव स्वभाव से अनुशासित मन परमेश्वर का विरोधी है। क्योंकि वह न तो परमेश्वर के नियमों के अधीन है और न हो सकता है।

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Hindi Holy Bible

7 क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के आधीन है, और न हो सकता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

7 क्‍योंकि शारीरिक आचरण की चिन्‍ता करना परमेश्‍वर के प्रतिकूल है। यह शारीरिक चिन्‍ता परमेश्‍वर के नियम के अधीन नहीं होती और हो भी नहीं सकती।

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नवीन हिंदी बाइबल

7 क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्‍वर से शत्रुता करना है, वह न तो परमेश्‍वर की व्यवस्था के अधीन है, और न हो सकता है;

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सरल हिन्दी बाइबल

7 पापी स्वभाव का मस्तिष्क परमेश्वर-विरोधी होता है क्योंकि वह परमेश्वर की व्यवस्था की अधीनता स्वीकार नहीं करता—वास्तव में यह करना उसके लिए असंभव है.

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रोमियों 8:7
28 क्रॉस रेफरेंस  

तब हनानी नामक दर्शी का पुत्र येहू यहोशापात राजा से भेंट करने को निकला और उससे कहने लगा, “क्या दुष्‍टों की सहायता करनी और यहोवा के बैरियों से प्रेम रखना चाहिये? इस काम के कारण यहोवा की ओर से तुझ पर क्रोध भड़का है।


तू भी अपनी आत्मा परमेश्‍वर के विरुद्ध करता है, और अपने मुँह से व्यर्थ बातें निकलने देता है।


मूढ़ ने अपने मन में कहा, “कोई परमेश्‍वर है ही नहीं।” वे बिगड़ गए, उन्होंने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं।


तू उनको दण्डवत् न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्‍वर यहोवा जलन रखने वाला परमेश्‍वर हूँ, और जो मुझ से बैर रखते हैं, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूँ,


क्या हबशी अपना चमड़ा, या चीता अपने धब्बे बदल सकता है? यदि वे ऐसा कर सकें, तो तू भी, जो बुराई करना सीख गई है, भलाई कर सकेगी।


जिस से इस्राएल का घराना, जो अपनी मूरतों के द्वारा मुझे त्यागकर दूर हो गया है, उन्हें मैं उन्हीं के मन के द्वारा फँसाऊँगा।


हे साँप के बच्‍चो, तुम बुरे होकर कैसे अच्छी बातें कह सकते हो? क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुँह पर आता है।


इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सबसे छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उन आज्ञाओं का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान् कहलाएगा।


संसार तुम से बैर नहीं कर सकता, परन्तु वह मुझ से बैर करता है क्योंकि मैं उसके विरोध में यह गवाही देता हूँ कि उसके काम बुरे हैं।


जब उन्होंने परमेश्‍वर को पहिचानना न चाहा, तो परमेश्‍वर ने भी उन्हें उनके निकम्मे मन पर छोड़ दिया कि वे अनुचित काम करें।


बदनाम करनेवाले, परमेश्‍वर से घृणा करनेवाले, दूसरों का अनादर करनेवाले, अभिमानी, डींगमार, बुरी–बुरी बातों के बनानेवाले, माता पिता की आज्ञा न माननेवाले,


तो क्या हम व्यवस्था को विश्‍वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं! वरन् व्यवस्था को स्थिर करते हैं।


क्योंकि बैरी होने की दशा में उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्‍वर के साथ हुआ, तो फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएँगे?


क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूँ।


इसलिये कि व्यवस्था की विधि हममें जो शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी की जाए।


परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्‍वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृष्‍टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है।


व्यवस्थाहीनों के लिये मैं – जो परमेश्‍वर की व्यवस्था से हीन नहीं परन्तु मसीह की व्यवस्था के अधीन हूँ – व्यवस्थाहीन सा बना कि व्यवस्थाहीनों को खींच लाऊँ।


तुम जो पहले निकाले हुए थे और बुरे कामों के कारण मन से बैरी थे;


कोई मनुष्य आत्महीनता और स्वर्गदूतों की पूजा कराके तुम्हें दौड़ के प्रतिफल से वंचित न करे। ऐसा मनुष्य देखी हुई बातों में लगा रहता है और अपनी शारीरिक समझ पर व्यर्थ फूलता है,


विश्‍वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्‍वर के नहीं वरन् सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे।


फिर प्रभु कहता है, कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने के साथ बाँधूँगा, वह यह है कि मैं अपनी व्यवस्था को उनके मनों में डालूँगा, और उसे उनके हृदयों पर लिखूँगा, और मैं उनका परमेश्‍वर ठहरूँगा और वे मेरे लोग ठहरेंगे।


हे व्यभिचारिणियो, क्या तुम नहीं जानतीं कि संसार से मित्रता करनी परमेश्‍वर से बैर करना है? अत: जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्‍वर का बैरी बनाता है।


उनकी आँखों में व्यभिचार बसा हुआ है, और वे पाप किए बिना रुक नहीं सकते। वे चंचल मनवालों को फुसला लेते हैं। उनके मन को लोभ करने का अभ्यास हो गया है; वे सन्ताप की सन्तान हैं।


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