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याकूब 1:8 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 वह व्यक्‍ति दुचित्ता है और अपनी सारी बातों में चंचल है।

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पवित्र बाइबल

8 ऐसे मनुष्य का मन तो दुविधा से ग्रस्त है। वह अपने सभी कर्मो में अस्थिर रहता है।

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Hindi Holy Bible

8 वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 क्‍योंकि ऐसा मनुष्‍य दुचिता है और उसका सारा आचरण अस्‍थिर है।

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नवीन हिंदी बाइबल

8 वह दुचित्ता है और अपने समस्त आचरण में अस्थिर है।

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सरल हिन्दी बाइबल

8 ऐसा व्यक्ति का मन तो दुविधा से ग्रस्त है—अपने सारे स्वभाव में स्थिर नहीं है.

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याकूब 1:8
13 क्रॉस रेफरेंस  

और एलिय्याह सब लोगों के पास आकर कहने लगा, “तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा परमेश्‍वर हो, तो उसके पीछे हो लो; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लो।” लोगों ने उसके उत्तर में एक भी बात न कही।


वे यहोवा का भय मानते तो थे परन्तु उन जातियों की रीति पर, जिनके बीच से वे निकाले गए थे, अपने अपने देवताओं की भी उपासना करते रहे।


अतएव वे जातियाँ यहोवा का भय मानती तो थीं, परन्तु अपनी खुदी हुई मूरतों की उपासना भी करती रहीं, और जैसे वे करते थे वैसे ही उनके बेटे पोते भी आज के दिन तक करते हैं।


मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूँ, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ।


प्रभु ने कहा, “ये लोग जो मुँह से मेरा आदर करते हुए समीप आते परन्तु अपना मन मुझ से दूर रखते हैं, और जो केवल मनुष्यों की आज्ञा सुन सुनकर मेरा भय मानते हैं;


उनका मन बटा हुआ है; अब वे दोषी ठहरेंगे। वह उनकी वेदियों को तोड़ डालेगा, और उनकी लाटों को टुकड़े टुकड़े करेगा।


“शरीर का दीया आँख है : इसलिये यदि तेरी आँख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा।


“कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा, या एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा। तुम परमेश्‍वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।


ऐसा मनुष्य यह न समझे कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा,


परमेश्‍वर के निकट आओ तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा। हे पापियो, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगो, अपने हृदय को पवित्र करो।


उनकी आँखों में व्यभिचार बसा हुआ है, और वे पाप किए बिना रुक नहीं सकते। वे चंचल मनवालों को फुसला लेते हैं। उनके मन को लोभ करने का अभ्यास हो गया है; वे सन्ताप की सन्तान हैं।


वैसे ही उसने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है, जिनमें कुछ बातें ऐसी हैं जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्रशास्त्र की अन्य बातों की तरह खींच तानकर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।


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