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यशायाह 58:3 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 वे कहते हैं, ‘क्या कारण है कि हम ने तो उपवास रखा, परन्तु तू ने इसकी सुधि नहीं ली? हमने दु:ख उठाया, परन्तु तू ने कुछ ध्यान नहीं दिया?’ सुनो, उपवास के दिन तुम अपनी ही इच्छा पूरी करते हो और अपने सेवकों से कठिन कामों को कराते हो।

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पवित्र बाइबल

3 अब वे लोग कहते हैं, “तेरे प्रति आदर दिखाने के लिये हम भोजन करना बन्द कर देते हैं। तू हमारी ओर देखता क्यों नहीं तेरे प्रति आदर व्यक्त करने के लिये हम अपनी देह को क्षति पहुँचाते हैं। तू हमारी ओर ध्यान क्यों नहीं देता” किन्तु यहोवा कहता है, “उपवास के उन दिनों में उपवास रखते हुए तुम्हें आनन्द आता है किन्तु उन्हीं दिनों तुम अपने दासों का खून चूसते हो।

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Hindi Holy Bible

3 वे कहते हैं, क्या कारएा है कि हम ने तो उपवास रखा, परन्तु तू ने इसकी सुधि नहीं ली? हम ने दु:ख उठाया, परन्तु तू ने कुछ ध्यान नहीं दिया? सुनो, उपवास के दिन तुम अपनी ही इच्छा पूरी करते हो और अपने सेवकों से कठिन कामों को कराते हो।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 वे मुझसे कहते हैं: ‘हम उपवास करते हैं किन्‍तु तू उसको देखता नहीं, हम अपने प्राण को कष्‍ट देते हैं, परन्‍तु तू उस पर ध्‍यान नहीं देता।’ देखो, जब तुम उपवास करते हो, तब तुम्‍हारा उद्देश्‍य अपनी इच्‍छाओं को पूर्ण करना होता है; तुम अपने मजदूरों पर अत्‍याचार करते हो।

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सरल हिन्दी बाइबल

3 ‘ऐसा क्यों हुआ कि हमने उपवास किया, किंतु हमारी ओर आपका ध्यान ही नहीं गया? हमने दुःख उठाया, किंतु आपको दिखाई ही नहीं दिया?’ “इसका कारण यह है कि जब तुम उपवास करते हो, तब तुम अपनी अभिलाषाओं पर नियंत्रण नहीं रखते, तुम उस समय अपने सेवकों को कष्ट देते हो.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

3 वे कहते हैं, ‘क्या कारण है कि हमने तो उपवास रखा, परन्तु तूने इसकी सुधि नहीं ली? हमने दुःख उठाया, परन्तु तूने कुछ ध्यान नहीं दिया?’ सुनो, उपवास के दिन तुम अपनी ही इच्छा पूरी करते हो और अपने सेवकों से कठिन कामों को कराते हो।

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यशायाह 58:3
23 क्रॉस रेफरेंस  

तब मैं ने वहाँ अर्थात् अहवा नदी के तट पर उपवास का प्रचार इस आशय से किया कि हम परमेश्‍वर के सामने दीन हों; और उस से अपने और अपने बाल–बच्‍चों और अपनी समस्त सम्पत्ति के लिये सरल यात्रा माँगें।


तब अपने मन में सोच विचार करके मैं ने रईसों और हाकिमों को घुड़ककर कहा, “तुम अपने अपने भाई से ब्याज लेते हो।” तब मैं ने उनके विरुद्ध एक बड़ी सभा की;


क्योंकि उसने कहा है, ‘मनुष्य को इससे कुछ लाभ नहीं कि वह आनन्द से परमेश्‍वर की संगति रखे।’


जब मैं रोकर और उपवास करके दु:ख उठाता था, तब उससे भी मेरी नामधराई ही हुई।


जो अपना कान व्यवस्था सुनने से मोड़ लेता है, उसकी प्रार्थना घृणित ठहरती है।


उस समय सेनाओं के प्रभु यहोवा ने रोने–पीटने, सिर मुड़ाने और टाट पहिनने के लिये कहा था;


परन्तु क्या देखा कि हर्ष और आनन्द मनाया जा रहा है, गाय–बैल का घात और भेड़–बकरी का वध किया जा रहा है, मांस खाया और दाखमधु पीया जा रहा है, और कहते हैं, “आओ खाएँ–पीएँ, क्योंकि कल तो हमें मरना है।”


मैं ने अपनी प्रजा से क्रोधित होकर अपने निज भाग को अपवित्र ठहराया और तेरे वश में कर दिया; तू ने उन पर कुछ दया न की; बूढ़ों पर तू ने अपना अत्यन्त भारी जूआ रख दिया।


“तुम लोगों के लिये यह सदा की विधि होगी कि सातवें महीने के दसवें दिन को तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना, और उस दिन कोई, चाहे वह तुम्हारे निज देश का हो चाहे तुम्हारे बीच रहने वाला कोई परदेशी हो, कोई भी किसी प्रकार का काम–काज न करे;


यह तुम्हारे लिये परमविश्राम का दिन ठहरे, और तुम उस दिन अपने अपने जीव को दु:ख देना; यह सदा की विधि है।


“उसी सातवें महीने का दसवाँ दिन प्रायश्‍चित्त का दिन माना जाए; वह तुम्हारी पवित्र सभा का दिन होगा, और उसमें तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना और यहोवा के लिये हव्य चढ़ाना।


तुम ने कहा है, ‘परमेश्‍वर की सेवा करना व्यर्थ है। हम ने जो उसके बताए हुए कामों को पूरा किया और सेनाओं के यहोवा के डर के मारे शोक का पहिरावा पहिने हुए चले हैं, इस से क्या लाभ हुआ?


और परमेश्‍वर बिलाम से मिला; और बिलाम ने उससे कहा, “मैं ने सात वेदियाँ तैयार की हैं, और प्रत्येक वेदी पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया है।”


उसने पिता को उत्तर दिया, ‘देख, मैं इतने वर्ष से तेरी सेवा कर रहा हूँ और कभी भी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तू ने मुझे कभी एक बकरी का बच्‍चा भी न दिया कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता।


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