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मरकुस 9:50 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

50 नमक अच्छा है, पर यदि नमक का स्वाद जाता रहे, तो उसे किस से नमकीन करोगे? अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो। ”

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पवित्र बाइबल

50 “नमक अच्छा है। किन्तु नमक यदि अपना नमकीनपन ही छोड़ दे तो तुम उसे दोबारा नमकीन कैसे बना सकते हो? अपने में नमक रखो और एक दूसरे के साथ शांति से रहो।”

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Hindi Holy Bible

50 नमक अच्छा है,पर यदि नमक की नमकीनी जाती रहे, तो उसे किस से स्वादित करोगे? अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

50 “नमक अच्‍छा है; किन्‍तु यदि वह अपना सलोनापन खो बैठे तो तुम उसे किस वस्‍तु से स्‍वादिष्‍ट करोगे? “अपने में नमक बनाए रखो और आपस में मेल रखो।”

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नवीन हिंदी बाइबल

50 “नमक अच्छा है, परंतु यदि नमक का स्वाद चला जाए तो उसे किससे नमकीन करोगे? अपने आपमें नमक रखो और आपस में मेल-मिलाप से रहो।”

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सरल हिन्दी बाइबल

50 “नमक एक आवश्यक वस्तु है, किंतु यदि नमक अपना खारापन खो बैठे तो किस वस्तु से उसका खारापन वापस कर सकोगे? तुम स्वयं में नमक तथा आपस में मेल-मिलाप बनाए रखो.”

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मरकुस 9:50
28 क्रॉस रेफरेंस  

जो फीका है वह क्या बिना नमक खाया जाता है? क्या अण्डे की सफेदी में भी कुछ स्वाद होता है?


देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें!


बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूँढ़ और उसी का पीछा कर।


तू उन्हें यहोवा के सामने ले आना, और याजक लोग उन पर नमक डाल कर उन्हें यहोवा को होमबलि करके चढ़ाएँ।


“तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इसके कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए।


वे चुप रहे, क्योंकि मार्ग में उन्होंने आपस में यह वाद–विवाद किया था कि हम में से बड़ा कौन है।


क्योंकि हर एक जन आग से नमकीन किया जाएगा।


जहाँ तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।


अत: हे भाइयो, आनन्दित रहो; सिद्ध बनते जाओ; ढाढ़स रखो; एक ही मन रखो; मेल से रहो। और प्रेम और शान्ति का दाता परमेश्‍वर तुम्हारे साथ होगा।


पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास,


कोई गन्दी बात तुम्हारे मुँह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही निकले जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो।


केवल इतना करो कि तुम्हारा चाल–चलन मसीह के सुसमाचार के योग्य हो कि चाहे मैं आकर तुम्हें देखूँ, चाहे न भी आऊँ, तुम्हारे विषय में यही सुनूँ कि तुम एक ही आत्मा में स्थिर हो, और एक चित्त होकर सुसमाचार के विश्‍वास के लिये परिश्रम करते रहते हो,


इसलिये परमेश्‍वर के चुने हुओं के समान जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करुणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो,


तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।


और उनके काम के कारण प्रेम के साथ उनको बहुत ही आदर के योग्य समझो। आपस में मेलमिलाप से रहो।


जवानी की अभिलाषाओं से भाग, और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं उनके साथ धर्म, और विश्‍वास, और प्रेम, और मेलमिलाप का पीछा कर।


सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा।


क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्‍वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता।


अत: सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखनेवाले, और करुणामय, और नम्र बनो।


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