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भजन संहिता 82:5 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 वे न तो कुछ समझते और न कुछ जानते हैं, परन्तु अन्धेरे में चलते फिरते रहते हैं; पृथ्वी की पूरी नींव हिल जाती है।

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पवित्र बाइबल

5 “इस्राएल के लोग नहीं जानते क्या कुछ घट रहा है। वे समझते नहीं! वे जानते नहीं वे क्या कर रहे हैं। उनका जगत उनके चारों ओर गिर रहा है।”

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Hindi Holy Bible

5 वे न तो कुछ समझते और न कुछ बूझते हैं, परन्तु अन्धेरे में चलते फिरते रहते हैं; पृथ्वी की पूरी नीव हिल जाती है॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 वे जानते नहीं, वे समझते नहीं, वे अंधकार में भटक रहे हैं; पृथ्‍वी के समस्‍त आधार डगमगाने लगे हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

5 वे न तो कुछ जानते हैं, न कुछ समझते हैं; वे अंधेरे में भटकते रहते हैं। पृथ्वी की पूरी नींव हिल जाती है।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 “वे कुछ नहीं जानते, वे कुछ नहीं समझते. वे अंधकार में आगे बढ़ रहे हैं; पृथ्वी के समस्त आधार डगमगा गए हैं.

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भजन संहिता 82:5
19 क्रॉस रेफरेंस  

क्योंकि हम तो कल ही के हैं, और कुछ नहीं जानते; और पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान बीतते जाते हैं।


यदि नीवें ढा दी जाएँ तो धर्मी क्या कर सकता है?”


क्या किसी अनर्थकारी को कुछ भी ज्ञान नहीं रहता, जो मेरे लोगों को ऐसे खा जाते हैं जैसे रोटी, और परमेश्‍वर का नाम नहीं लेते?


क्या उन सब अनर्थकारियों को कुछ भी ज्ञान नहीं जो मेरे लोगों को ऐसे खाते हैं जैसे रोटी और परमेश्‍वर का नाम नहीं लेते?


जब पृथ्वी अपने सब रहनेवालों समेत डोल रही है, तब मैं ही उसके खम्भों को स्थिर करता हूँ। (सेला)


यहोवा राजा हुआ है; देश देश के लोग काँप उठें! वह करूबों पर विराजमान है; पृथ्वी डोल उठे!


क्योंकि उन्होंने ज्ञान से बैर किया, और यहोवा का भय मानना उनको न भाया।


जो खराई के मार्ग को छोड़ देते हैं, ताकि अन्धेरे मार्ग में चलें;


दुष्‍टों का मार्ग घोर अन्धकारमय है; वे नहीं जानते कि वे किस से ठोकर खाते हैं।


जो बुद्धिमान है, उसके सिर में आँखें रहती हैं, परन्तु मूर्ख अंधियारे में चलता है; तौभी मैं ने जान लिया कि दोनों की दशा एक सी होती है।


फिर मैं ने संसार में* क्या देखा कि न्याय के स्थान में दुष्‍टता होती है, और धर्म के स्थान में भी दुष्‍टता होती है।


क्योंकि सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी तो इस्राएल का घराना है, और उसका प्रिय पौधा यहूदा के लोग हैं; और उसने उनमें न्याय की आशा की परन्तु अन्याय दिखाई पड़ा; उसने धर्म की आशा की, परन्तु उसे चिल्‍लाहट ही सुनाई पड़ी!


इस कारण न्याय हम से दूर है, और धर्म हमारे समीप ही नहीं आता; हम उजियाले की बाट तो जोहते हैं, परन्तु, देखो अन्धियारा ही बना रहता है, हम प्रकाश की आशा तो लगाए हैं, परन्तु, घोर अन्धकार ही में चलते हैं।


मैं ने कहा : हे याक़ूब के प्रधानो, हे इस्राएल के घराने के न्यायियो, सुनो! क्या न्याय का भेद जानना तुम्हारा काम नहीं?


यीशु ने उनसे कहा, “ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो, ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है।


और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे।


जब उन्होंने परमेश्‍वर को पहिचानना न चाहा, तो परमेश्‍वर ने भी उन्हें उनके निकम्मे मन पर छोड़ दिया कि वे अनुचित काम करें।


तौभी परमेश्‍वर की पक्‍की नींव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है : “प्रभु अपनों को पहिचानता है,” और “जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे।”


पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है वह अन्धकार में है और अन्धकार में चलता है, और नहीं जानता कि कहाँ जाता है, क्योंकि अन्धकार ने उसकी आँखें अंधी कर दी हैं।


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