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भजन संहिता 77:3 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 मैं परमेश्‍वर का स्मरण कर करके कराहता हूँ; मैं चिन्ता करते करते मूर्च्छित हो चला हूँ। (सेला)

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पवित्र बाइबल

3 मैं परमेश्वर का मनन करता हूँ, और मैं जतन करता रहता हूँ कि मैं उससे बात करूँ और बता दूँ कि मुझे कैसा लग रहा है। किन्तु हाय मैं ऐसा नहीं कर पाता।

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Hindi Holy Bible

3 मैं परमेश्वर का स्मरण कर करके करहाता हूं; मैं चिन्ता करते करते मूर्छित हो चला हूं। (सेला)

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 मैं परमेश्‍वर का स्‍मरण कर विलाप करता हूँ, ध्‍यान करते-करते मेरी आत्‍मा थक जाती है। सेलाह

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नवीन हिंदी बाइबल

3 परमेश्‍वर का स्मरण करके मैं कराहता हूँ; चिंता करते-करते मैं मूर्च्छित होने लगता हूँ। सेला।

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सरल हिन्दी बाइबल

3 परमेश्वर, कराहते हुए मैं आपको स्मरण करता रहा; आपका ध्यान करते हुए मेरी आत्मा क्षीण हो गई.

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भजन संहिता 77:3
21 क्रॉस रेफरेंस  

उसके सब बेटे–बेटियों ने उसको शान्ति देने का प्रयत्न किया; पर उसको शान्ति न मिली; और वह यही कहता रहा, “मैं तो विलाप करता हुआ अपने पुत्र के पास अधोलोक में उतर जाऊँगा।” इस प्रकार उसका पिता उसके लिये रोता ही रहा।


परमेश्‍वर की शान्तिदायक बातें, और जो वचन तेरे लिये कोमल हैं, क्या वे तेरी दृष्‍टि में तुच्छ हैं?


क्योंकि परमेश्‍वर के प्रताप के कारण मैं ऐसा नहीं कर सकता था, क्योंकि उसकी ओर की विपत्ति के कारण मैं भयभीत होकर थरथराता था।


क्योंकि सर्वशक्‍तिमान के तीर मेरे अन्दर चुभे हैं; और उनका विष मेरी आत्मा में पैठ गया है; परमेश्‍वर की भयंकर बात मेरे विरुद्ध पाँति बाँधे हैं।


“इसलिये मैं अपना मुँह बन्द न रखूँगा; अपने मन का खेद खोलकर कहूँगा; और अपने जीव की कड़ुवाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहूँगा।


हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्‍वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्‍वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा।


हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्‍वर पर आशा लगाए रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूँगा।


हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्‍वर पर भरोसा रख, क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्‍वर है; मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा।


और संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊँगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा।”


मूर्छा खाते समय मैं पृथ्वी की छोर से भी तुझे पुकारूँगा, जो चट्टान मेरे लिये ऊँची है, उस पर मुझ को ले चल;


रात के समय मैं अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती रही; मैं उसे ढूँढ़ती तो रही, परन्तु उसे न पाया;


हे यहोवा, दु:ख में वे तुझे स्मरण करते थे, जब तू उन्हें ताड़ना देता था तब वे दबे स्वर से अपने मन की बात तुझ पर प्रगट करते थे।


मुझे न घबरा; संकट के दिन तू ही मेरा शरणस्थान है।


और मुझ को मन से उतारकर कुशल से रहित किया है; मैं कल्याण भूल गया हूँ;


इसलिये जीवित मनुष्य क्यों कुड़कुड़ाए? और पुरुष अपने पाप के दण्ड को क्यों बुरा माने?


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