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प्रेरितों के काम 10:35 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

35 वरन् हर जाति में जो उससे डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।

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पवित्र बाइबल

35 बल्कि हर जाति का कोई भी ऐसा व्यक्ति जो उससे डरता है और नेक काम करता है, वह उसे स्वीकार करता है।

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Hindi Holy Bible

35 अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता, वरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

35 मनुष्‍य किसी भी जाति का क्‍यों न हो, यदि वह परमेश्‍वर की भक्‍ति करता और धर्माचरण करता है, तो वह परमेश्‍वर का कृपापात्र बन जाता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

35 बल्कि प्रत्येक जाति में जो उसका भय मानता और धार्मिकता के कार्य करता है, वह उसे ग्रहणयोग्य होता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

35 हर एक जनता में उस व्यक्ति को परमेश्वर अंगीकार करता है, जो परमेश्वर में श्रद्धा रखता तथा वही करता है जो सही है.

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प्रेरितों के काम 10:35
36 क्रॉस रेफरेंस  

यदि तुम जानते हो, कि वह धर्मी है, तो यह भी जानते हो कि जो कोई धर्म का काम करता है वह उस से जन्मा है।


वह भक्‍त था, और अपने सारे घराने समेत परमेश्‍वर से डरता था, और यहूदी लोगों को बहुत दान देता, और बराबर परमेश्‍वर से प्रार्थना करता था।


उसमें न तो यूनानी रहा न यहूदी, न खतना न खतनारहित, न जंगली, न स्कूती, न दास और न स्वतंत्र : केवल मसीह सब कुछ और सब में है।


और विश्‍वास के द्वारा उनके मन शुद्ध करके हम में और उन में कुछ भेद न रखा।


अत: हे प्रियो, जब कि ये प्रतिज्ञाएँ हमें मिली हैं, तो आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें, और परमेश्‍वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें।


सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्‍वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्तव्य यही है।


अधर्म का प्रायश्‍चित्त कृपा, और सच्‍चाई से होता है, और यहोवा के भय मानने के द्वारा मनुष्य बुराई करने से बच जाते हैं।


यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूढ़ ही लोग तुच्छ जानते हैं।


जो तुम्हारे पास पहुँचा है, और जैसा जगत में भी फल लाता और बढ़ता जाता है, वैसे ही जिस दिन से तुम ने उसको सुना और सच्‍चाई से परमेश्‍वर का अनुग्रह पहिचाना है, तुम में भी ऐसा ही करता है।


इस प्रकार सारे यहूदिया, और गलील, और सामरिया में कलीसिया को चैन मिला, और उसकी उन्नति होती गई; और वह प्रभु के भय और पवित्र आत्मा की शान्ति में चलती और बढ़ती गई।


बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी बुद्धि अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी।


निश्‍चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है, तब हमारे देश में महिमा का निवास होगा।


मसीह के भय से एक दूसरे के अधीन रहो।


कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्तुति हो, जिसे उसने हमें उस प्रिय में सेंतमेंत दिया।


अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी, न कोई दास न स्वतंत्र, न कोई नर न नारी, क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो।


क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो क्या यूनानी, क्या दास हो क्या स्वतंत्र, एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया।


अर्थात् परमेश्‍वर की वह धार्मिकता जो यीशु मसीह पर विश्‍वास करने से सब विश्‍वास करनेवालों के लिये है। क्योंकि कुछ भेद नहीं;


(क्योंकि परमेश्‍वर के यहाँ व्यवस्था के सुननेवाले धर्मी नहीं, पर व्यवस्था पर चलनेवाले धर्मी ठहराए जाएँगे।


स्वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा, “आनन्द और जय तेरी हो, जिस पर ईश्‍वर का अनुग्रह हुआ है! प्रभु तेरे साथ है!”


वे मेरे लिये बलिदान तो करते हैं, और पशु बलि भी करते हैं, परन्तु उसका फल मांस ही है; वे आप ही उसे खाते हैं; परन्तु यहोवा उनसे प्रसन्न नहीं होता। अब वह उनके अधर्म की सुधि लेकर उनके पाप का दण्ड देगा; वे मिस्र में लौट जाएँगे।


अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना।


तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्‍वर का ज्ञान तुझे प्राप्‍त होगा।


तब उसने मनुष्य से कहा, ‘देख, प्रभु का भय मानना यही बुद्धि है : और बुराई से दूर रहना यही समझ है’।”


क्योंकि खतनावाले तो हम ही हैं जो परमेश्‍वर के आत्मा की अगुआई से उपासना करते हैं, और मसीह यीशु पर घमण्ड करते हैं, और शरीर पर भरोसा नहीं रखते।


यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं।


उनसे कहा, “तुम जानते हो कि अन्यजाति की संगति करना या उसके यहाँ जाना यहूदी के लिये अधर्म है, परन्तु परमेश्‍वर ने मुझे बताया है कि किसी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न कहूँ।


फिर जब अन्यजाति लोग जिनके पास व्यवस्था नहीं, स्वभाव ही से व्यवस्था की बातों पर चलते हैं, तो व्यवस्था उनके पास न होने पर भी वे अपने लिये आप ही व्यवस्था हैं।


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