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न्यायियों 14:17 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

17 भोज के सातों दिनों में वह स्त्री उसके सामने रोती रही; और सातवें दिन जब उसने उसको बहुत तंग किया; तब उसने उसको पहेली का अर्थ बता दिया। तब उसने उसे अपनी जाति के लोगों को बता दिया।

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पवित्र बाइबल

17 शिमशोन की पत्नी दावत के शेष सात दिन तक रोती चिल्लाती रही। अत: अन्त में उसने सातवें दिन पहेली का उत्तर उसे दे दिया। उसने बता दिया क्योंकि वह उसे बराबर परेशान कर रही थी। तब वह अपने लोगों के बीच गई और उन्हें पहेली का उत्तर दे दिया।

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Hindi Holy Bible

17 और जेवनार के सातों दिनों में वह स्त्री उसके साम्हने रोती रही; और सातवें दिन जब उसने उसको बहुत तंग किया; तब उसने उसको पहेली का अर्थ बता दिया। तब उसने उसे अपनी जाति के लोगों को बता दिया।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

17 शिमशोन की पत्‍नी सातवें दिन तक, जिस दिन विवाह-भोज समाप्‍त हुआ, उसके सम्‍मुख रोती रही। जब पत्‍नी ने शिमशोन पर बहुत दबाव डाला तब उसने सातवें दिन उसे पहेली का अर्थ बता दिया। अत: शिमशोन की पत्‍नी ने अपने देश के लोगों को पहेली का अर्थ बता दिया।

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सरल हिन्दी बाइबल

17 फिर भी सातों दिन, जब तक विवाहोत्सव चलता रहा, वह रोती रही. अंत में सातवें दिन शिमशोन ने उसे पहेली का हल बता ही दिया; उसकी पत्नी ने उसे इस सीमा तक तंग कर दिया था. उसने जाकर अपने जाति वाले युवकों को पहेली का उत्तर जा सुनाया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

17 भोज के सातों दिनों में वह स्त्री उसके सामने रोती रही; और सातवें दिन जब उसने उसको बहुत तंग किया; तब उसने उसको पहेली का अर्थ बता दिया। तब उसने उसे अपनी जाति के लोगों को बता दिया।

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न्यायियों 14:17
13 क्रॉस रेफरेंस  

अत: जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने के लिए अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहनेयोग्य भी है; तब उसने उसमें से तोड़कर खाया, और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया।


तब उसकी स्त्री उससे कहने लगी, “क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्‍वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा।”


ऐसी बातें कह कहकर, उसने उसको अपनी प्रबल माया में फँसा लिया; और अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उसको अपने वश में कर लिया।


अपनी अपनी जीभ को वे धनुष के समान झूठ बोलने के लिये तैयार करते हैं, और देश में बलवन्त तो हो गए, परन्तु सच्‍चाई के लिये नहीं; वे बुराई पर बुराई बढ़ाते जाते हैं, और वे मुझ को जानते ही नहीं, यहोवा की यही वाणी है।


मित्र पर विश्‍वास मत करो, परममित्र पर भी भरोसा मत रखो; वरन् अपनी अर्द्धांगिनी से भी संभलकर बोलना।


मैं तुम से कहता हूँ, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, तौभी उसके लज्जा छोड़कर माँगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठकर देगा।


तब शिमशोन की पत्नी यह कहकर उसके सामने रोने लगी, “तू तो मुझ से प्रेम नहीं बैर ही रखता है। तू ने एक पहेली मेरी जाति के लोगों से तो कही है, परन्तु मुझ को उसका अर्थ भी नहीं बताया।” उसने कहा, “मैं ने उसे अपने माता–पिता को भी नहीं बताया, फिर क्या मैं तुझ को बता दूँ?”


तब सातवें दिन सूर्य डूबने न पाया था कि उस नगर के मनुष्यों ने शिमशोन से कहा, “मधु से अधिक क्या मीठा? और सिंह से अधिक क्या बलवन्त है?” उसने उनसे कहा, “यदि तुम मेरी कलोर को हल में न जोतते, तो मेरी पहेली को कभी न बूझते।”


तब दलीला ने शिमशोन से कहा, “अब तक तू मुझ से छल करता, और झूठ बोलता आया है; अब मुझे बता दे कि तू काहे से बंध सकता है?” उसने कहा, “यदि तू मेरे सिर की सातों लटें ताने में बुने तो बंध सकूँगा।”


इस प्रकार जब उसने हर दिन बातें करते करते उसको तंग किया, और यहाँ तक हठ किया कि उसकी नाक में दम आ गया,


तब दलीला ने शिमशोन से कहा, “मुझे बता कि तेरे बड़े बल का भेद क्या है, और किस रीती से कोई तुझे बाँधकर दबा रख सकता है।”


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