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नीतिवचन 18:21 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

21 जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा।

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पवित्र बाइबल

21 वाणी जीवन, मृत्यु की शक्ति रखती है, और जो वाणी से प्रेम रखते है, वे उसका फल खाते हैं।

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Hindi Holy Bible

21 जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

21 जीभ के वश में मनुष्‍य का जीवन और मृत्‍यु दोनों हैं; और जो मनुष्‍य अपनी जीभ का प्रयोग जानता है उसको उचित फल प्राप्‍त होता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

21 जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसका सदुपयोग करना जानता है, वह उसका फल पाएगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

21 जिह्वा की सामर्थ्य जीवन और मृत्यु तक व्याप्‍त है, और जिन्हें यह बात ज्ञात है, उन्हें इसका प्रतिफल प्राप्‍त होगा.

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नीतिवचन 18:21
21 क्रॉस रेफरेंस  

दीन लोगों के लुट जाने, और दरिद्रों के कराहने के कारण, परमेश्‍वर कहता है, “अब मैं उठूँगा, जिस पर वे फुँकारते हैं उसे मैं चैन विश्राम दूँगा।”


धर्मी के मुँह से बुद्धि टपकती है, पर उलट फेर की बात कहनेवाले की जीभ काटी जाएगी।


धर्मी का प्रतिफल जीवन का वृक्ष होता है, और बुद्धिमान मनुष्य लोगों के मन को मोह लेता है।


बुरा मनुष्य अपने दुर्वचनों के कारण फन्दे में फँसता है, परन्तु धर्मी संकट से निकास पाता है।


जो अपने मुँह को वश में रखता है, वह अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है।


धर्मियों से कहो कि उनका भला होगा, क्योंकि वे अपने कामों का फल प्राप्‍त करेंगे।


मैं मुँह के फल का सृजनहार हूँ; यहोवा ने कहा है, जो दूर और जो निकट हैं, दोनों को पूरी शान्ति मिले; और मैं उसको चंगा करूँगा।


तुम ने दुष्‍टता के लिये हल जोता और अन्याय का खेत काटा है; और तुम ने धोखे का फल खाया है। यह इसलिये हुआ क्योंकि तुम ने अपने कुव्यवहार पर, और अपने बहुत से वीरों पर भरोसा रखा था।


इसलिये यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कोई बड़ी बात नहीं, परन्तु उनका अन्त उनके कामों के अनुसार होगा।


कुछ के लिये तो मरने के निमित्त मृत्यु की गन्ध, और कितनों के लिये जीवन के निमित्त जीवन की सुगन्ध। भला इन बातों के योग्य कौन है?


कोई गन्दी बात तुम्हारे मुँह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही निकले जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो।


तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।


वे व्यर्थ घमण्ड की बातें कर करके लुचपन के कामों के द्वारा, उन लोगों को शारीरिक अभिलाषाओं में फँसा लेते हैं जो भटके हुओं में से अभी निकल ही रहे हैं।


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