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नीतिवचन 18:14 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

14 रोग में मनुष्य अपनी आत्मा से सम्भलता है; परन्तु जब आत्मा हार जाती है तब इसे कौन सह सकता है?

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पवित्र बाइबल

14 मनुष्य का मन उसे व्याधि में थामें रखता किन्तु टूटे मन को भला कोई कैसे थामे।

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Hindi Holy Bible

14 रोग में मनुष्य अपनी आत्मा से सम्भलता है; परन्तु जब आत्मा हार जाती है तब इसे कौन सह सकता है?

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

14 बीमारी की दशा में मनुष्‍य का आत्‍म-बल उसको सम्‍भलता है; पर जब हृदय ही टूट जाता है, तब उसको कौन सह सकता है?

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नवीन हिंदी बाइबल

14 बीमारी में मनुष्य की आत्मा उसे संभालती है, परंतु जब आत्मा दुःखी हो जाती है तो उसे कौन संभाल सकता है?

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सरल हिन्दी बाइबल

14 रुग्ण अवस्था में मनुष्य का मनोबल उसे संभाले रहता है, किंतु टूटे हृदय को कौन सह सकता है?

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नीतिवचन 18:14
26 क्रॉस रेफरेंस  

मन आनन्दित होने से मुख पर भी प्रसन्नता छा जाती है, परन्तु मन के दु:ख से आत्मा निराश होती है।


मन का आनन्द अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियाँ सूख जाती हैं।


इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अभी कुछ दिन के लिये नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण दु:ख में हो;


हे मेरे भाइयो, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो,


वह खेदित मनवालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम–पट्टी बाँधता है।


इसलिये इससे भला यह है कि उसका अपराध क्षमा करो और शान्ति दो, न हो कि ऐसा मनुष्य बहुत उदासी में डूब जाए।


क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूँ, और मेरा हृदय घायल हुआ है।


क्योंकि हम अपने विवेक की इस गवाही पर घमण्ड करते हैं, कि जगत में और विशेष करके तुम्हारे बीच, हमारा चरित्र परमेश्‍वर के योग्य ऐसी पवित्रता और सच्‍चाई सहित था, जो शारीरिक ज्ञान से नहीं परन्तु परमेश्‍वर के अनुग्रह के साथ था।


भय और कँपकँपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं।


क्योंकि शत्रु कोलाहल, और दुष्‍ट उपद्रव कर रहे हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर सताते हैं।


क्योंकि सर्वशक्‍तिमान के तीर मेरे अन्दर चुभे हैं; और उनका विष मेरी आत्मा में पैठ गया है; परमेश्‍वर की भयंकर बात मेरे विरुद्ध पाँति बाँधे हैं।


ये बातें मूसा ने इस्राएलियों को सुनाईं, परन्तु उन्होंने मन की बेचैनी और दासत्व की क्रूरता के कारण उसकी न सुनी।


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