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नीतिवचन 15:5 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 मूढ़ अपने पिता की शिक्षा का तिरस्कार करता है, परन्तु जो डाँट को मानता, वह चतुर हो जाता है।

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पवित्र बाइबल

5 मूर्ख अपने पिता की प्रताड़ना का तिरस्कार करता है किन्तु जो कान सुधार पर देता है बुद्धिमानी दिखाता है।

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Hindi Holy Bible

5 मूढ़ अपने पिता की शिक्षा का तिरस्कार करता है, परन्तु जो डांट को मानता, वह चतुर हो जाता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 मूर्ख पुत्र अपने पिता की शिक्षाप्रद बातों का तिरस्‍कार करता है; परन्‍तु जो पुत्र अपने पिता की डांट-डपट को स्‍वीकार करता है, वह व्‍यवहारकुशल बन जाता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

5 मूर्ख अपने पिता की शिक्षा का तिरस्कार करता है, परंतु जो पिता की ताड़ना पर ध्यान देता है, वह समझदार है।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 मूर्ख पुत्र की दृष्टि में पिता के निर्देश तिरस्कारीय होते हैं, किंतु विवेकशील होता है वह पुत्र, जो पिता की डांट पर ध्यान देता है.

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नीतिवचन 15:5
19 क्रॉस रेफरेंस  

फिर दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान से कहा, “हियाव बाँध और दृढ़ होकर इस काम में लग जा। मत डर, और तेरा मन कच्‍चा न हो, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर जो मेरा परमेश्‍वर है, वह तेरे संग है; और जब तक यहोवा के भवन में जितना काम करना हो वह न हो चुके, तब तक वह न तो तुझे धोखा देगा और न तुझे त्यागेगा।


“हे मेरे पुत्र सुलैमान! तू अपने पिता के परमेश्‍वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जाँचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है। यदि तू उसकी खोज में रहे, तो वह तुझ को मिलेगा; परन्तु यदि तू उसको त्याग दे तो वह सदा के लिये तुझ को छोड़ देगा।


धर्मी मुझ को मारे तो यह कृपा मानी जाएगी, और वह मुझे ताड़ना दे, तो यह मेरे सिर पर का तेल ठहरेगा; मेरा सिर उससे इन्कार न करेगा। लोगों के बुरे काम करने पर भी मैं प्रार्थना में लवलीन रहूँगा।


तुम मेरी डाँट सुनकर मन फिराओ; सुनो, मैं अपनी आत्मा तुम्हारे लिये उण्डेल दूँगी, मैं तुम को अपने वचन बताऊँगी।


यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूढ़ ही लोग तुच्छ जानते हैं।


सुलैमान के नीतिवचन। बुद्धिमान पुत्र से पिता आनन्दित होता है, परन्तु मूर्ख पुत्र के कारण माता उदास रहती है।


बुद्धिमान पुत्र पिता की शिक्षा सुनता है, परन्तु ठट्ठा करनेवाला घुड़की को भी नहीं सुनता।


जो शिक्षा को सुनी–अनसुनी करता वह निर्धन होता और अपमान पाता है, परन्तु जो डाँट को मानता, उसकी महिमा होती है।


शान्ति देनेवाली बात जीवन–वृक्ष है, परन्तु उलट फेर की बात से आत्मा दु:खित होती है।


धर्मी के घर में बहुत धन रहता है, परन्तु दुष्‍ट के उपार्जन में दु:ख रहता है।


सम्मति को सुन ले, और शिक्षा को ग्रहण कर, कि तू अन्तकाल में बुद्धिमान ठहरे।


जैसे सोने का नथ और कुन्दन का जेवर अच्छा लगता है, वैसे ही माननेवाले के कान में बुद्धिमान की डाँट भी अच्छी लगती है।


आज्ञा तो दीपक है और शिक्षा ज्योति, और सिखानेवाले की डाँट जीवन का मार्ग है,


यह गवाही सच है, इसलिये उन्हें कड़ाई से चेतावनी दिया कर कि वे विश्‍वास में पक्‍के हो जाएँ,


पूरे अधिकार के साथ ये बातें कह, और समझा और सिखाता रह। कोई तुझे तुच्छ न जानने पाए।


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