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नीतिवचन 14:32 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

32 दुष्‍ट मनुष्य बुराई करता हुआ नष्‍ट हो जाता है, परन्तु धर्मी को मृत्यु के समय भी शरण मिलती है।

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पवित्र बाइबल

32 जब दुष्ट जन पर विपदा पड़ती है तब वह हार जाते हैं किन्तु धर्मी जन तो मृत्यु में भी विजय हासिल करते हैं।

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Hindi Holy Bible

32 दुष्ट मनुष्य बुराई करता हुआ नाश हो जाता है, परन्तु धर्मी को मृत्यु के समय भी शरण मिलती है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

32 दुर्जन को उसके दुष्‍कर्म ही उखाड़ फेंकते हैं, पर धार्मिक मनुष्‍य अपनी सत्‍यनिष्‍ठा के कारण आश्रय पाता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

32 दुष्‍ट मनुष्य अपने दुष्कर्मों के द्वारा नष्‍ट हो जाता है, परंतु धर्मी अपनी मृत्यु के समय भी शरण पाता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

32 दुष्ट के विनाश का कारण उसी के कुकृत्य होते हैं, किंतु धर्मी अपनी मृत्यु के अवसर पर निराश्रित नहीं छूट जाता.

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नीतिवचन 14:32
29 क्रॉस रेफरेंस  

हे यहोवा, मैं तुझी से उद्धार पाने की बाट जोहता आया हूँ।


वह मुझे घात करेगा, मुझे कुछ आशा नहीं; तौभी मैं अपनी चाल चलन का पक्ष लूँगा।


वह उजियाले से अन्धियारे में ढकेल दिया जाएगा, और जगत में से भी भगाया जाएगा।


तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।


परन्तु मैं तो धर्मी होकर तेरे मुख का दर्शन करूँगा जब मैं जागूँगा तब तेरे स्वरूप से सन्तुष्‍ट हूँगा।


चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूँ, तौभी हानि से न डरूँगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।


खरे मनुष्य पर दृष्‍टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहनेवाले पुरुष का अन्तफल अच्छा है।


इस से पहले कि तुम्हारी हांडियों में काँटों की आँच लगे, हरे व जले, दोनों को वह बवण्डर से उड़ा ले जाएगा।


तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा करके मुझ को अपने पास रखेगा।


खरे मनुष्य का मार्ग धर्म के कारण सीधा होता है, परन्तु दुष्‍ट अपनी दुष्‍टता के कारण गिर जाता है।


समझवाले के मन में बुद्धि वास किए रहती है, परन्तु मूर्खों के अन्त:करण में जो कुछ है वह प्रगट हो जाता है।


क्योंकि धर्मी चाहे सात बार गिरे तौभी उठ खड़ा होता है; परन्तु दुष्‍ट लोग विपत्ति में गिरकर पड़े ही रहते हैं।


दुष्‍ट अपने ही अधर्म के कर्मों से फँसेगा, और अपने ही पाप के बन्धनों में बँधा रहेगा।


इस कारण उस पर विपत्ति अचानक आ पड़ेगी, वह पल भर में ऐसा नष्‍ट हो जाएगा, कि बचने का कोई उपाय न रहेगा।


“हे स्वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्ति से विदा करता है,


उसने फिर उनसे कहा, “मैं जाता हूँ, और तुम मुझे ढूँढ़ोगे और अपने पाप में मरोगे; जहाँ मैं जाता हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।”


इसलिये मैं ने तुम से कहा कि तुम अपने पापों में मरोगे, क्योंकि यदि तुम विश्‍वास न करोगे कि मैं वही हूँ तो अपने पापों में मरोगे।”


तो इसमें कौन सी आश्‍चर्य की बात है कि परमेश्‍वर ने अपना क्रोध दिखाने और अपनी सामर्थ्य प्रगट करने की इच्छा से क्रोध के बरतनों की, जो विनाश के लिये तैयार किए गए थे, बड़े धीरज से सही;


वरन् हम ने अपने मन में समझ लिया था कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है, ताकि हम अपना भरोसा न रखें वरन् परमेश्‍वर का जो मरे हुओं को जिलाता है।


इसलिये हम ढाढ़स बाँधे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।


क्योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है।


क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूँ; जी तो चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूँ, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है,


जब लोग कहते होंगे, “कुशल है, और कुछ भय नहीं,” तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा, जिस प्रकार गर्भवती पर पीड़ा; और वे किसी रीति से न बचेंगे।


और प्रभु मुझे हर एक बुरे काम से छुड़ाएगा, और अपने स्वर्गीय राज्य में सुरक्षित पहुँचाएगा। उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।


फिर मैं ने स्वर्ग से यह शब्द सुना, “लिख: जो मृतक प्रभु में मरते हैं, वे अब से धन्य हैं।” आत्मा कहता है, “हाँ, क्योंकि वे अपने सारे परिश्रम से विश्राम पाएँगे, और उनके कार्य उनके साथ हो लेते हैं।”


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