9 यद्यपि मैंने उन्हें अनेक राष्ट्रों में तितर-बितर किया है, तो भी वे उन दूर देशों में भी मुझे स्मरण करेंगे। वे वहां जीवित रहेंगे, और अपने बच्चों के साथ लौटेंगे।
वे बचे हुए लोग, उन जातियों के बीच, जिनमें वे बँधुए होकर जाएँगे, मुझे स्मरण करेंगे; और यह भी कि हमारा व्यभिचारी हृदय यहोवा से कैसे हट गया है, और व्यभिचारिणी की सी हमारी आँखें मूरतों पर कैसी लगी हैं, जिससे यहोवा का मन टूटा है। इस रीति से उन बुराइयों के कारण, जो उन्होंने अपने सारे घिनौने काम करके की हैं, वे अपनी दृष्टि में घिनौने ठहरेंगे।
तब याक़ूब के बचे हुए लोग बहुत राज्यों के बीच ऐसा काम देंगे, जैसा यहोवा की ओर से पड़नेवाली ओस, और घास पर की वर्षा, जो किसी के लिये नहीं ठहरती और मनुष्यों की बाट नहीं जोहती।
उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिये उत्पन्न होंगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बाल–बच्चे उन से अलग न होंगे।
और जिस जिस प्रान्त, और जिस जिस नगर में, जहाँ कहीं राजा की आज्ञा और नियम पहुँचे, वहाँ वहाँ यहूदियों को आनन्द और हर्ष हुआ, और उन्होंने भोज करके उस दिन को खुशी का दिन माना। और उस देश के लोगों में से बहुत लोग यहूदी बन गए, क्योंकि उनके मन में यहूदियों का डर समा गया था।
परन्तु यदि तुम मेरी ओर फिरो, और मेरी आज्ञाएँ मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम में से निकाले हुए लोग आकाश की छोर में भी हों, तौभी मैं उनको वहाँ से इकट्ठा करके उस स्थान में पहुँचाऊँगा, जिसे मैं ने अपने नाम के निवास के लिये चुन लिया है।’
क्योंकि यदि तू उस जैतून से, जो स्वभाव से जंगली है, काटा गया और स्वभाव के विरुद्ध अच्छे जैतून में साटा गया, तो ये जो स्वाभाविक डालियाँ हैं, अपने ही जैतून में क्यों न साटे जाएँगे।
शाऊल उसके वध में सहमत था। उसी दिन यरूशलेम की कलीसिया पर बड़ा उपद्रव आरम्भ हुआ और प्रेरितों को छोड़ सब के सब यहूदिया और सामरिया देशों में तितर–बितर हो गए।