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उत्पत्ति 41:26 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

26 वे सात अच्छी अच्छी गायें सात वर्ष हैं; और वे सात अच्छी अच्छी बालें भी सात वर्ष हैं; स्वप्न एक ही है।

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पवित्र बाइबल

26 सात अच्छी गायें और सात अच्छी अनाज की बालें सात वर्ष हैं, दोनों सपने एक ही हैं।

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Hindi Holy Bible

26 वे सात अच्छी अच्छी गायें सात वर्ष हैं; और वे सात अच्छी अच्छी बालें भी सात वर्ष हैं; स्वप्न एक ही है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

26 सात अच्‍छी गायें सात वर्ष हैं। सात बालें भी सात वर्ष हैं। इस प्रकार स्‍वप्‍न एक ही है।

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नवीन हिंदी बाइबल

26 वे सात अच्छी गायें सात वर्ष हैं, और वे सात अच्छी बालें भी सात वर्ष हैं। दोनों स्वप्‍न एक ही हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

26 सात सुंदर और मोटी गायें सात वर्ष हैं, सात अच्छी बालें भी सात वर्ष हैं; दोनों ही स्वप्न एक ही हैं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

26 वे सात अच्छी-अच्छी गायें सात वर्ष हैं; और वे सात अच्छी-अच्छी बालें भी सात वर्ष हैं; स्वप्न एक ही है।

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उत्पत्ति 41:26
15 क्रॉस रेफरेंस  

इस कारण पुरुष अपने माता–पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे एक ही तन बने रहेंगे।


तब यूसुफ ने उससे कहा, “इसका फल यह है : तीन डालियों का अर्थ तीन दिन हैं;


यूसुफ ने कहा, “इसका फल यह है : तीन टोकरियों का अर्थ तीन दिन है।


और उस नदी में से सात सुन्दर और मोटी मोटी गायें निकलकर कछार की घास चरने लगीं।


तब यूसुफ ने फ़िरौन से कहा, “फ़िरौन का स्वप्न एक ही है, परमेश्‍वर जो काम करना चाहता है, उसको उसने फ़िरौन पर प्रगट किया है।


फिर उनके पीछे जो दुर्बल और कुडौल गायें निकलीं, और जो सात छूछी और पुरवाई से मुरझाई हुई बालें निकालीं, वे अकाल के सात वर्ष होंगे।


सुन, सारे मिस्र देश में सात वर्ष तो बहुतायत की उपज के होंगे।


सुकाल के सातों वर्षों में भूमि बहुतायत से अन्न उपजाती रही,


और वह फिर सो गया और दूसरा स्वप्न देखा कि एक डंठल में से सात मोटी और अच्छी अच्छी बालें निकलीं।


मिस्र देश के सुकाल के सात वर्ष समाप्‍त हो गए;


और उसके खाने की यह विधि है : कमर बाँधे, पाँव में जूती पहिने, और हाथ में लाठी लिए हुए उसे फुर्ती से खाना; वह तो यहोवा का पर्व होगा।


और सोने के पचास अंकड़े बनवाना; और परदों के पंचों को अंकड़ों के द्वारा एक दूसरे से ऐसा जुड़वाना कि निवास–स्थान मिलकर एक हो जाए।


जैसा तू ने देखा कि एक पत्थर किसी के हाथ के बिन खोदे पहाड़ में से उखड़ा, और उस ने लोहे, पीतल, मिट्टी, चाँदी, और सोने को चूर चूर किया, इसी रीति महान् परमेश्‍वर ने राजा को बताया है कि इसके बाद क्या क्या होनेवाला है। न स्वप्न में और न उसके फल में कुछ सन्देह है।”


और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे जो उनके साथ–साथ चलती थी, और वह चट्टान मसीह था।


और जो गवाही देता है, वह आत्मा है; क्योंकि आत्मा सत्य है।


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